खाने के तरीके बहुत हैं . छुरी कांटे से, चम्मच से, हाथ से तो सब समझते हैं लेकिन जानकार बताते हैं कि सही समय पर सही चीजों के साथ खाने से ही लाभ मिलता है . वरना लोटाभर घी पी लीजिये, अपना नाम तक भूल जाइयेगा . राम रसिया जी सब जानते हैं . चलता फिरता गूगल हैं राजधानी का . उन्हीं से पूछ लिया कि च्यवनप्राश कैसे खाएं कि सेहत दुरुस्त हो .
“खाने के मामले में नियम कायदा बहुत महत्त्व
रखता है . नगद खाने से खुद की ही नहीं घर भर की सेहत टनाटन हो जाती है . और घर की
भी क्यों कहें देश भर की सेहत का राज यही है . खाओ और खाने दो . भ्रष्टाचार के
बारे में मत सोचो . भ्रष्टाचार का दायरा बहुत बड़ा है . झूठ बोलना, झूठे वादे करना
और कुर्सी जीत लेना भी भ्रष्टाचार है . जीतने के बाद सेवा के नाम पर मनमानी करना
और भी बड़ा भ्रष्टाचार है . सोचो तो बहुत कुछ है नहीं सोचो तो कुछ भी नहीं . नया जमाना
है, इसलिए नयी सोच के साथ आगे बढ़ाना चाहिए . और नयी सोच ये हैं कि ज्यादा सोचने का
नहीं . उठो सुबह और आइने के सामने खड़े हो कर तीन बार कहो भ्रष्टाचार का लीगल टेंडर
जारी है . बस हो गया, मन पवित्र, आत्मा शुद्ध . सरकार कोई भी हो कानून उन्ही के
खिलाफ कार्रवाई करता है जिन्हें खाने का सलीका नहीं है . हर सरकार चाहती है कि अधिकारीयों
की शिकायत नहीं मिले . शिकायत मिलने पर कार्रवाई भी करना पड़ती है और भ्रष्टाचार के
खिलाफ बयान और भाषण भी देना पड़ता है . रिश्वत देना और ले लेना एक कला है . इस काम
में सफल लोग कलाकार कहे जाते हैं .” राम
रसिया जी की ट्रेन एक स्टेशन से छूटती है तो दूसरे स्टेशन पर ही रूकती है . लगता
है उन्हें खाना ध्यान रहा च्यवनप्राश भूल गए .
“राम रसिया जी आप बड़े जानकार हैं, सो हमने तो बस
यह जानना चाहा था कि च्यवनप्राश कैसे खाएं ?” उन्हें मूल प्रश्न याद दिलाया .
“अच्छी बात है, ... पहले सुधार किया जाये .
च्यवनप्राश खाया नहीं चाटा जाता है . खाना अलग क्रिया है चाटना अलग . जैसे रिश्वत,
खायी जाती है चाटी नहीं जाती है . सिर्फ
दिमाग ही ऐसी चीज है जिसे खाया भी जाता है और चाटा भी जाता है . सेहत के लिए लोग
धूप भी खाते हैं किन्तु च्यवनप्राश को चाटना अलग बात है .”
“चलिए ठीक है . चाट लेंगे . उसमे क्या है .”
“कैसे आदमी हो जी, चाटने को हलके में मत लो, कोई कुछ कह कर वापस
चाट ले तो कुर्सी तक हिल जाती है ससुरी . बदनामी होती है अलग से . चाटने का विधान गहरा
है . अनुभव से समझ आता है .” वे फिर राजधानी की राजनीति में घुसे .
“ठीक है, मानते हैं . आप ये बताइए कि हम च्यवनप्राश का सेवन कैसे करें
?”
“सत्ता जो है स्वर्ण केशर युक्त च्यवनप्राश है,
थोड़ा थोड़ा चाटना पड़ता है . एकदम से चाटेंगे तो हजम नहीं होगा . बिना चम्मच के इसे
चाटा नहीं जा सकता है . चम्मच हैं ?”
“अभी भी सत्ता को क्यों घसीट रहे हैं !! ... हाँ
चम्मच हैं दस बारह ... च्यवनप्राश नहीं है . कौन सा ठीक रहेगा ?”
“ खुद चम्मच बनोगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा .
चम्मच में ही पहले च्यवनप्राश चिपकता है . किसी झन्नाट विधायक के साथ लग लो . सबसे
अच्छा च्यवनप्राश आजकल विधायक ही है . सावधानी और सलीके से चाटोगे तो पौष्टिकता
मिलेगी .”
“ भाई साहब मैं आंवले से बने च्यवनप्राश की बात
कर रहा हूँ ... आप लेन देन के च्यवनप्राश से बाहर नहीं आ रहे हैं !!”
“तो लाइए कहाँ है च्यवनप्राश ? डब्बा सामने होगा
तभी न बताया जायेगा कि कैसे खाएं . खाने पीने का ज्ञान मुंह जबानी नहीं मिलता है .
... और हाँ, दो डब्बा लाइए, बताने में एक हमसे जूठा हो जायेगा सो हम ही रख लेंगे .
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रोचक और पाचक। एक डिब्बा इधर भी।
जवाब देंहटाएंजरूर आदरणीय ।
हटाएंबहुत बढ़िया
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