प्राचीन देश शांतिपुरम में दो तरह के लोग रहते
हैं . एक जो जागे हुए हैं और दूसरे जो जागे हुए नहीं हैं . इसमें कोई दो राय नहीं
हो सकती है कि ऐसे में शांतिपुरम सरकार के पास दो ही प्राथमिक काम हैं एक यह कि
जागे हुए लगातार जागते रहें और दूसरा जो जागे हुए नहीं हैं उन्हें जगाया जाये .
प्राथमिकता है इसलिए बहुत सारे संगठनों और उनकी तमाम शाखाओं को इस काम में लगाया
गया है . उनका काम है कि एक एक आदमी के पास पहुंचें और पड़ताल करें कि वह कायदे से जागा
हुआ है या कि जागा हुआ नहीं है . आदेश यह भी हुआ है कि जागने वालों और नहीं जागने
वालों की जनगणना की जाये . ताकि शांतिपुरम की जागरण सम्बन्धी सरकारी योजनाओं का
पूरा पूरा लाभ सरकार को मिले . जो लोग गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई जैसी घिसीपिटी समस्याओं
को रोते मिलेंगे उन्हें सुप्त दर्ज किया जायेगा . जिन्हें चारों और भ्रष्टाचार बेईमानी,
चोरी-डकैती दीख रही हो उन्हें सुपर-सुप्त श्रेणी में दर्ज किया जायेगा . जो
शांतिपुरम सरकार के काम को संदेह से देखेंगे, नेतृत्व पर सवाल करेंगे या जो राइट टू
इन्फार्मेशन यानी सूचना के अधिकार के तहत नेतृत्व का खाना खर्चा, कपड़ा-लत्ता और
तोतों-कबूतरों के दाना-पानी का हिसाब पूछेंगे उन्हें अचेत श्रेणी मिलेगी . विशेष
प्रकरणों में इन्हें एडवांस में मृत भी मान लिया जा सकता है . जो लोग धर्म-जाति, पूजा-प्रार्थना,
ऊँच-नीच, अगड़ा-पिछड़ा को लेकर अतिसंवेदनशील हैं केवल वही जागे हुए माने जायेंगे .
“जो जागे हुए नहीं हैं उनका क्या करें साहेब जी ?”
जागरण सचेतक ने पूछा .
“सबसे पहले उन्हें चिन्हित करो, सूचि बनाओ,
निगरानी में रखो, समझाओ, लालच दो, डराओ पहले शाब्दिक फिर सोंटा-दर्शन से, बौद्धिक
दो कि छापा पड़ सकता है . उन्हें जागरण शक्ति द्वारा भेजे गए वीडियो दिखाओ, वाट्स
एप मेसेज भेजो, लड़ाई झगड़ों के पुराने प्रसंग याद दिलाओ, दिन दिन भर जागो-जागो बोलो
. पूरा मौका दो उन्हें, अपनी तरफ से पूरा प्रयास करो कि वे जाग जाएँ . उन्हें
जागना ही पड़ेगा .” साहब बोले .
“आदरणीय महोदय फंड की कमी है . कोई प्रावधान कर
दें तो काम को गति मिले .” सचेतक अपनी समस्या बताई .
“फंड की कमी है तो पुलिस से संपर्क करें . वे
बिना बात चालान बनाते ही हैं, शांतिपुरम के हित में उसे दुगना करें . सक्षम
विभागों से कहो कि सुप्तों और सुपर सुप्तों पर छापा मारी करें . इससे या तो वे जाग
जायेंगे या फिर आपकी फंड व्यवस्था करेंगे . हर हाल में पूरा शांतिपुरम हमें जागृत
करना है .”
“हम पूरी कोशिश कर रहे हैं साहेब . किन्तु हमारे
सामने सवाल यह भी है कि बहुत से लोग हैं जो इससे भी नहीं जागे तो ?”
“उन्हें बताओ कि पुरस्कार देंगे, ईनाम मिलेगा,
नगद भी मिलेगा, उधार भी मिलेगा . हवाई
जहाज में बैठाएंगे और पूरे शांतिपुरम का चक्कर लगवाएंगे, पद-वद भी मिल सकता है .”
“महोदय क्षमा करें, न जागना भी एक तरह की
कट्टरता है . कुछ लोग कट्टरता की हद तक नहीं जागे हुए हैं . हमारी कोशिशों के बाद
भी वे नहीं मानेंगे .”
“ऐसों को बताओ कि नहीं जागे तो शांतिपुरम में दंगा
हो सकता है . तुम नहीं जागे तो जागे हुओं के हाथों मारे जा सकते हो . बताओ कि सुप्तजनों
को स्वर्ग में जगह नहीं मिलती है . और इसके बाद भी नहीं मानें तो ... तो आप लोग ईशप्रेरणा
से अपना काम कर सकते हैं .”
“ठीक है साहेब, इन्हें मृतक सूचि में ही रखना पड़ेगा . लेकिन
इतने सारे लोगों को ठिकाने कहाँ लगाया जा सकता है ?”
“चिंता नहीं करें, देवनदी माँ है . देवनदी की
क्षमता बहुत है, देवनदी शांतिपुरम के पक्ष में हमेशा तत्पर है . ... जाओ अब समय
नष्ट मत करो देवनदी प्रतीक्षा कर रही है .”
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