रविवार, 21 जनवरी 2024

एक यात्रा प्राणप्रतिष्ठा के लिए



किसी ज़माने में पार्टी के प्राण शेरवानी पर खुंसे लाल गुलाब में हुआ करते थे । सोचा था देश  उन्हें  भी  प्राणनाथ मान लेगा, नहीं माना । जाहिर है प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम चलाना पड़ रहा है । मूर्ति को स्थापित करना है लेकिन प्राण की दिक्कत है । प्राण कहाँ हैं यही पता नहीं चल रहा है । सोचा था सारे प्राण मिल कर एक प्राणबंधन कर लेंगे, लेकिन नहीं हो पा रहा है । चाटुकार कान में कह जाते हैं कि अपनी पार्टी के प्राण वंशवाद में हैं । किन्तु वंश में वो वाले प्राण बचे नहीं जो इस वक्त जरुरी हैं । काले कपड़ों वाले जानकारों ने बताया है कि पार्टी के प्राण किसी तोते में हैं । औत तोता पिंजरे में बंद है । पिंजरा काली गुफा में है और गुफा लाल पहाड़ी के पीछे है । एक काफिला लगेगा उसे खोजने में ।

एक समय था जब लाल पहाड़ी दूर से दिखाई दे जाती थी । अब उसने अपना मुंह छुपा लिया है । जो लोग कभी लाल पहाड़ी पर खड़े हो कर चाँद देखा करते थे वे अब गुम गलियों में उसे खोज रहे हैं । ऐसे मौके पर कोई पत्रकार सवाल न पूछे यह हो सकता है क्या ! माइक दन्न से आगे आया – “क्या आप लाल पहाड़ी खोजने के लिए यात्रा पर निकले हैं ?”

“नहीं मैं काली गुफा खोजने के लिए निकला हूँ । लोगों को काली गुफा के बारे में जागरूक करने के लिए निकला हूँ । बस लोग एक बार काली गुफा की हकीकत ठीक से जान जाएँ तो समझो हमारी प्राणप्रतिष्ठा हो जाएगी ।“ उन्होने जवाब दिया ।

“अभी तो आपने कहा कि जागरूकता के लिए निकले हैं ! फिर ये प्राणप्रतिष्ठा का सवाल कैसा ?!”

“एक ही बात है, लोग जागरुक हो जायेंगे तभी हमारी प्राणप्रतिष्ठा होगी । “

“ तो ये कहिये ना कि जनजागरण में ही आपके प्राण बसे हुए हैं ।“

“मेरे नहीं, पार्टी के प्राण हैं जागरण में ।“

“विश्वस्त सूत्रों के ज्ञात हुआ है कि किसी तोते की तलाश में यात्रा पर निकले हैं आप ?”

“तोता !! हाँ, वो तोता काली गुफा में । हर काली गुफा में एक तोता होता है ।“

“तो इस यात्रा को न्याय यात्रा क्यों कहा जा रहा है ! तोता तलाश यात्रा कहना ज्यादा ठीक होगा ।“

“देखिये भईया ... तोते का मिल जाना ही न्याय मिल जाना है । बल्कि यों कहना ज्यादा ठीक होगा कि तोता ही न्याय है । न्याय में ही प्राण हैं । तोते को पिंजरे से मुक्त कर देना ही प्राण को प्रतिष्ठित कर देना है ।“

“कुछ लोग कह रहे हैं तोता असल में evm है । क्या यह सही है ?”

“evm सही नहीं है, हम उसका विरोध करते हैं ।“

“और तोता ?”

“तोता तो पिंजरे में है । “

“आपकी सरकार बनी तो आप इस तोते का क्या करेंगे ?”

“मारेंगें नहीं । हम इसे अपने पिंजरे में बंद करके प्रधान मंत्री आवास के आंगन में लटका देंगे । अभी यह सीताराम सीताराम बोलता है । हम इसे गुड मार्निंग, गुड इविनिंग और यस सर बोलना सिखायेंगे । “

“तो फिर बदलाव कहाँ हुआ !?”

“तोते में बदलाव नहीं होता है, न ही पिंजरे में । बदलाव होता है आँगन में । ... अब जरा ध्यान से सुनिए । सीताराम सीताराम की आवाज किधर से आ रही है । लग रहा है हर जगह तोते पिंजरे में बैठे हैं । “

“इतनी बड़ी संख्या में तोतों को मुक्त करा पाओगे आप ? समय तो बहुत कम है ।“

“तोतों में प्राण होंगे तो वे स्वयं मुक्त हो जायेंगे । मैं तो सिर्फ पुकारने निकला हूँ ।“

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