होली के हप्ता भर पहले से गोडबोले साहेब पानी बचाओ अभियान में लग गए हैं । घर घर पहुँच कर पानी बचाने का महत्त्व समझने में सारा दिन खपा रहे हैं । पत्नी नयनतारा को पता है कि ये पानी से भी उतना ही डरते हैं जितना रंग से । उन्हें समझाया कि होली के दिन आप घर के पीछे वाले वाश एरिया में छुप जाना लेकिन मानते नहीं । होलियापे में एक लड़का हो तो उसे समझा लें । इधर तो झुण्ड होता है शिकारियों का । एक ने गोडबोले के घर का रुख किया तो बाकी भी चले उधर । फिर जिसके घर में ही भेदिये हों तो उसे कौन बचा सकता है । नयनतारा अपने पल्लू में आल टाइम खुन्नस खोंसे रहती है और बदला होली में ! पिछली बार अपनी अकल लगा कर संडास में छुपे थे गोडबोले । लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ । गोडबोले की हालत देख कर नयनतारा की आत्मा को बड़ी शांति मिली । हालाँकि संडास इस बुरी तरह से भदरंग हुआ और महीनों तक रगड़ती रहीं पर साफ नहीं हुआ । इसका उन्हें गुस्सा था लेकिन बड़ा दुःख ये हो गया कि मल्टीकलर गोडबोले का रंग दस दिन में साफ हो गया । इस बार गोडबोले को लड़कों के आलावा नयनतारा के भगिनी मंडल से भी खतरा है । सूत्रों से पता चला है कि लट्ठमार होली होना है इस बार । भक्त अगर ठान लें तो अपना पराया नहीं देखते हैं । गोडबोले को अपनों से ज्यादा खतरा है । खैर ।
सबसे पहले वे
लेले साहब के घर पहुंचे । उनके घर दो जवान होलीखोर लड़के हैं । पिछली बार ये दुष्ट ही
सूखा रंग सिर में डाल गए थे । चार दिनों तक जब भी नहाने बैठे तो पहले से ज्यादा
लाल हो कर उठे । सूखे दक्षिणपंथी गीले होते ही वामपंथी नजर आने लगते । मौका होली
का नहीं होता तो लाल को मुद्दा बना कर ‘परिवार’ वाले बाहर का रास्ता दिखा देते ।
लड़के कमबख्त इतने कि बाहर सूख रही लाल चड्डी-बनियान के साथ सेल्फी ले कर वाट्सएप
पर वायरल कर दी । गोडबोले को कई दिनों तक लगता रहा मानों उन्हें सरे आम ‘रंगा’ कर
दिया हो । बड़े दिनों तक उन्हें लगता रहा कि चड्डी-बनियान नहीं वे खुद लटके हैं
रस्सी पे । छोरों ने अपनी डीपी में उनकी चड्डी-बनियान लगा ली । इन्हीं दोनों लेले-लाड़लों
के कारण इसबार उनका महीने भर से दिल बैठ रहा है । कई बार मन हुआ कि ससुराल ही चले
जाएँ । लेकिन ये कुंवे से बचने के लिए खाई में कूदने जैसा है । डाक्टर को दिखाया
तो उन्होंने कुछ गोलियां दे दीं । साथ ही यह भी कि पानी बचाने की मुहीम पूरे
मोहल्ले में चला दो । अच्छा काम है, रंगों से बच जाओगे और कहीं सरकार ने नोटिस ले
लिया तो कल को पद्मश्री वगैरह भी मिल सकती है । आजकल किसकी उड़ के लग जाये कुछ कहा
नहीं जा सकता है ।
गोडबोले
बोले - “वो क्या है लेले साहेब इस बार अपने को पानी बचाना है । बिलकुल पक्के में,
सारे लोग मिल के शप्पत ले लें तो ये काम हो जायेगा । पानी से कोई होली नहीं खेलेगा
ये सन्देश अपने को देना है । बोलो ।“
“अर्धा
अर्धा कोप चा लेंगे क्या ?” लेले ने उनकी बात को अनसुना सा करते हुए पूछा ।
“चा ? ....
हाओ । पत्ती थोड़ा ज्यादा और शकर थोड़ा कम बोलना । और हाँ ... पानी भी थोड़ा कम ...
बूंद बूंद कीमती है, ऐसा सरकार भी बोल रही है विज्ञापनों में । इस बार पानी बिलकुल
भी ख़राब नहीं करने का । अपने बच्चों को बोलना पुलिस पानी बचाने को बोल रही है । वो
क्या है ना लोग पहले रंग डालते हैं फिर उसको साफ करने के लिए हप्ता भर तक पानी
ख़राब करते हैं । अपने को ऐसा नहीं करने का । क्या । ...
“पुलिस ने
कब बोला !? लेले चौंके ।
“बोला है ।
ऊपर से आदेश है उनको । सुना है जो पानी से खेलेगा उसके यहाँ छापा पड़ेगा । इस बार
पुलिस टाईट है । ... अपने को लफड़ा नहीं मांगता, सीधे सरकार की बात मानने का । पानी
बचाना मतलब पानी बचाना । बरोबर ? “
चाय आ गयी
। गोडबोले ने सिप ले कर कहा अच्छी है ।
“ये पुलिस
का आपको कैसे पता चला कि पानी को लेकर इस बार .....”
“वो अपने
टीआई हैं ना भड़भड़े साहेब ...”
“अच्छा
भड़भड़े साहेब ने खुद बोला !?”
“अरे नहीं,
उनके नीचे है ना गनपत ... फ़ाइल वगैरह वही देखता है । उसने बताया है । तो अपन लोग
भी तय कर लें कि इस बार पानी नहीं ।“
“अच्छा !!
तभी लड़कों ने तो इस बार गार्डन में एक गड्ढा किया है होली के लिए ।“
“अरे नहीं
! रोको उन्हें । गड्ढे में कितना पानी बर्बाद होगा !! “
“पानी नहीं
गोबर से भरेंगे गड्ढे को । और सुना है आपको ही मुख्य अतिथि बनाने वाले हैं ।“
सुनते ही
गोडबोले भाग खड़े हुए । लेले बोलते ही रह
गए कि चा तो पी लेते इसमें पानी है ।
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