गुरुवार, 29 अगस्त 2024

शुद्ध घी मिलेगा कहीं !?


 


                                    यों तो हर आदमी चिंतक टाइप हो रहा है आजकल। घटते रोजगार, बढ़ती छंटनी और डबल पुलिस व्यवस्था के कारण लोग बैठे आसमान ऐसे ताकते रहते हैं जैसे आदमी नहीं छत पर लगी टीवी डिस्क हों। ज्योतिषियों को नहीं मालूम कि कल कौन से शत्रु-ग्रह मित्र-ग्रह हो जाएंगे । राजनीति सिर्फ जमीन की ठेकेदारी में नहीं है । जहाँ  भी बलवान और कमजोर ग्रह हों उठापटक शुरू हो ही जाती है । कल धूप खिलेगी या बरसात होगी ये मौसम विभाग वाले भी पूरी दमदारी से बोल नहीं सकते हैं । पल और कल की इतनी अनिश्चितता है कि ‘ढोल, गंवार, पशु, शूद्र, नारी’ सब चिंतन के अधिकारी हो रहे हैं । इस माहौल में दसपुत्रे जी सबसे अलग और बड़े वाले चिंतक हैं। उनकी चिंता खासतौर पर यह है कि किसी दिन सरकार ‘टप्प’ से गिर ना जाए। जैसे ही टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज आती है उनकी जान ‘धुक्क’ हो जाती है । टीवी वालियों पर उनको बहुत गुस्सा है । सियारों की तरह इतना ‘हुक्का हुआ’ चीखतीं हैं कि लगता है देश जंगल में तफ़दील हो रहा है । इधर दसपुत्रे सरकार को ऐसे दिल  पर लिए बैठे हैं मानो हुकूमत के सबसे ज्यादा शेयर उनके पास हैं । वे मानते हैं कि सरकार उनकी निजी है। और हो क्यों नहीं आखिर कड़क वोट देकर खुद उन्होंने बनाई है। अपनी के साथ कुछ हो जाए तो इज्जत का सवाल होता ही है। दूसरों की गिराई जाती है तो उनकी गठिया वाली टांगे भी ब्रेक डांस करने लगती हैं। पिछले वर्षों  में जब भी दूसरों की गिरी, उनके घर पर ढोल अवश्य बजे। फिसलन की तमाम आशंकाओं के बीच आज उनका एक ही एजेंडा है की सरकार को मजबूती से चलाने के लिए वे अपनी पूरी ताकत लगा देंगे।

                     पिछली बार जीत के लिए दसपुत्रे जी ने सप्तकुंडी हवन करवाया था। चमत्कार देखिए कि सरकार नहीं बनते बनते आखिर में बन ही गई। इस बार उनका इरादा एकादश-कुंडी हवन करने का है। हवन कर्मियों ने अलिखित गारंटी दी है कि सरकार पूरे पाँच साल चलवा देंगे। जब दसपुत्रे जी ने गारंटी पर उंगली रखते हुए पूछा यदि नहीं चली तो? हवन-कर्मी बोले हमारी गारंटी पिछली सभी गारंटियों से पक्की है। फिर भी सरकार नहीं चली तो उसका कारण हवन सामग्री में अशुद्धि और घी में मिलावट को समझा जाए। फिलहाल दसपुत्रे शुद्ध हवन सामग्री और बिना मिलावट का घी  ढूंढने में पूरी ताकत लगा रहे हैं।
                      इस बीच अलग किस्म के कुछ लोगों ने समझाया कि “दसपुत्रे जी हवन अवन से कुछ होने वाला नहीं है। आप तो फेक न्यूज़, फेक फोटो, फेक वीडियो और फेक मैसेज बनाने की फैक्ट्री डाल लो। स्टार्ट-अप चालू है । हर दिन हजारों फेक सूचनाएँ जनता के बीच पहुँचेंगी तो सारे रोबोट की तरह काम करने लगेंगे। किसी को कुछ समझ में नहीं आएगा कि सच क्या है। सच को नहीं जानने देना बड़ी और कुशल राजनीति है आज की डेट में । और झूठ को विश्वास में बदल देना दीर्घकालीन सफलता है। नेताजियों को देखते ही लोग घंटा बजाने लगें, आरती गाने लगें तो भला उस सरकार को गिराने के लिए मंगल ग्रह वाले आएंगे क्या !?
                       अचानक अंधेरा अंधेरा सा लगने लगा। घबराए दसपुत्रे जी बोले - " देखो जरा बाहर! अंधेरा सा क्यों लग रहा है! सूर्य ग्रहण लग गया है क्या? "
                     " सूर्य ग्रहण नहीं लगा है दसपुत्रे जी । आपकी एक नेत्री का बयान आया है कि किसानों ने यह किया वह किया। लेकिन आप चिंता कतई ना करें। पार्टी ने साफ-साफ कह दिया है की नेत्री भले हमारे गले पड़ी  हो पर बयान हमारे गले का नहीं है। वैसे भी बयानों को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है, वे जुमलों से अधिक कुछ नहीं होते हैं, बोले चाहे कोई भी। जनता एक काम से सुनेगी और दूसरे कान से तुरंत निकाल देगी। आप फिक्र ना करें। "
                   "अरे बकवास बंद करो जी। " दसपुत्रे जी बोले- " जाओ तलाश करो कहीं शुद्ध घी मिलेगा क्या। "

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