आप किसी
गलत फहमी में न पड़ें इसलिए साफ कर दूँ कि हाथ धोने से यहाँ मतलब हाथ धोना ही है ।
आप हम सब लोग काम निबटा कर हाथ धोते हैं ना ?
बस वोई । डाक्टर भी कहते हैं हाथ साफ रखना चाहिए । राजनीतिक पंडित भी सीखते हैं कि
कुछ भी करो पर समय पर हाथ धो लो । हाथ धोने से हाथ पवित्र हो जाते हैं और सिर धोने
से सिर । जो लोग नहीं धोते उन्हें समाज में उठाते बैठते सुनने को मिलता है । उस पर
खतरा ये कि अंधे होने के बावजूद रंगे हाथों पर कानून की नजर रहती है । नजर से इतनी
दिक्कत नहीं है, दिक्कत है कि कानून के हाथ भी लंबे होते हैं
। राजनीति करने वाले ज़्यादातर लगभग इंसान होते हैं । बावजूद इसके साफ सुथरा आदमी
राजनीति से दूर रहने में ही अपना भला समझता है । यहाँ बुरे काम करके उसे अच्छा
सिद्ध करना पड़ता है । मंदी को तेजी और पिछड़ने को विकास बताना पड़ता है । अगर किसीने
विलाप को आलाप प्रचारित कर दिया तो समझिए हाथ धुल गए । आम आदमी बेसिन में हाथ धोता है लेकिन हुजूर
मीडिया में हाथ धोते हैं । विज्ञान की तरक्की है, मीडिया में
हाथ क्या सब कुछ धोया जा सकता है । मीडिया बाथ टब है, इसमे
हिन्दी अंग्रेजी का ठंडा गरम पानी है । मजे में स्नान कीजिए और बिना किसी अपराधबोध
के नए काम पर निकालिए ।
कहते हैं
कि देशसेवा एक लत है, जिसको लग जाती है
वो करे बगैर मानता नहीं है । कइयों में इस रोग के जीवाणु वंशानुगत रूप से
हस्तांतरित होते रहते हैं । प्रायः पिता का खाया पुत्र को पुष्ट करता है । देशसेवा मामूली काम नहीं है, जानकार इसे टीम वर्क कहते हैं । जब कुछ लोग मिल कर करते हैं तो देशसेवा
में खतरे कम हो जाते हैं । सिंगल करने में जोखिम बहुत होता है । विद्वान कह गए हैं
कि देशसेवा का आदर्श तरीका समाजवादी है । कई समाजवादी देशसेवक रिटायर हो गए पर
उनके दमन पर एक भी दाग नहीं लगा । पुराने समय में लोग आस्थावान थे, देशसेवा में लगे लोगों को भगवान मान लेते थे । अब वक्त बादल गया है, जिन्हें देशसेवा का मौका मिलता है उन्हें वक्त जरूरत अपने हाथ धोते रहना
पड़ता है । यह बात इतनी आम है कि जैसे ही कोई सार्वजनिक रूप से हाथ धोते दिखाई देता
है लोग समझ जाते हैं कि इसने देशसेवा कर दी है ।
हुजूर शुरू
शुरू में निखट्टू टाइप के थे । काम वाम कुछ आता नहीं था । आदतें ऐसी रहीं कि थाने
चौकी से नाता बना । शायर कह गए हैं कि आते जाते रहो तो दरो दीवार से भी याराना हो
जाता है । घर के लोगों को यही लगी रहती थी कि नामाकूल करेगा क्या ! लेकिन ईश्वर
सबकी सुनता है, आजकल नामाकूलों की कुछ ज्यादा
ही । होनहार बिरवान के होत चिकने पात । पुलिस को कुछ काम बेदिली से भी करना पड़ते
हैं । हुजूर का जुलूस निकला तो अखबार के पहले पेज पर फोटो छ्प गई । समझने वाले समझ
गए कि अब ये देशसेवा करेगा । एक सुबह
लोगों ने देखा कि पोस्टर लगे हैं और उनके हृदय पर किसीके अतिक्रमण की घोषणा हो गई
है । हुजूर हृदय सम्राट हो गए हैं और पहले दिन से लोकप्रिय भी । उन्होने खुद तय
किया है कि वे देशसेवा करेंगे । देशसेवा एक बड़ा काम है बाकी काम छोटे हैं । उन्हे
पता चला है कि अगर ढंग से देशसेवा की जाए तो सात पीढ़ियाँ बैठ कर खा सकती हैं
। देश संभावनाओं से भरा हुआ है । खाने
वाले में दम हो तो किसी को निराश नहीं होना पड़ा
है । बस खाने के बाद हाथ धोना आना चाहिए । समय तेजी से गुजरा, पहले वे महीने पंद्रह दिनों में हाथ धोते थे । लोगों ने देखा कि अब तो हुजूर
रोज हाथ धो रहे हैं और जनता को स्वच्छता का संदेश दे रहे हैं ।
----
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें