शुक्रवार, 10 जनवरी 2020

हुजूर ने हाथ धोये


आप किसी गलत फहमी में न पड़ें इसलिए साफ कर दूँ कि हाथ धोने से यहाँ मतलब हाथ धोना ही है । आप हम सब लोग काम निबटा कर हाथ धोते हैं ना ? बस वोई । डाक्टर भी कहते हैं हाथ साफ रखना चाहिए । राजनीतिक पंडित भी सीखते हैं कि कुछ भी करो पर समय पर हाथ धो लो । हाथ धोने से हाथ पवित्र हो जाते हैं और सिर धोने से सिर । जो लोग नहीं धोते उन्हें समाज में उठाते बैठते सुनने को मिलता है । उस पर खतरा ये कि अंधे होने के बावजूद रंगे हाथों पर कानून की नजर रहती है । नजर से इतनी दिक्कत नहीं है, दिक्कत है कि कानून के हाथ भी लंबे होते हैं । राजनीति करने वाले ज़्यादातर लगभग इंसान होते हैं । बावजूद इसके साफ सुथरा आदमी राजनीति से दूर रहने में ही अपना भला समझता है । यहाँ बुरे काम करके उसे अच्छा सिद्ध करना पड़ता है । मंदी को तेजी और पिछड़ने को विकास बताना पड़ता है । अगर किसीने विलाप को आलाप प्रचारित कर दिया तो समझिए हाथ धुल गए ।  आम आदमी बेसिन में हाथ धोता है लेकिन हुजूर मीडिया में हाथ धोते हैं । विज्ञान की तरक्की है, मीडिया में हाथ क्या सब कुछ धोया जा सकता है । मीडिया बाथ टब है, इसमे हिन्दी अंग्रेजी का ठंडा गरम पानी है । मजे में स्नान कीजिए और बिना किसी अपराधबोध के नए काम पर निकालिए ।
कहते हैं कि देशसेवा एक लत है, जिसको लग जाती है वो करे बगैर मानता नहीं है । कइयों में इस रोग के जीवाणु वंशानुगत रूप से हस्तांतरित होते रहते हैं । प्रायः पिता का खाया पुत्र  को पुष्ट करता  है । देशसेवा मामूली काम नहीं है, जानकार इसे टीम वर्क कहते हैं । जब कुछ लोग मिल कर करते हैं तो देशसेवा में खतरे कम हो जाते हैं । सिंगल करने में जोखिम बहुत होता है । विद्वान कह गए हैं कि देशसेवा का आदर्श तरीका समाजवादी है । कई समाजवादी देशसेवक रिटायर हो गए पर उनके दमन पर एक भी दाग नहीं लगा । पुराने समय में लोग आस्थावान थे, देशसेवा में लगे लोगों को भगवान मान लेते थे । अब वक्त बादल गया है, जिन्हें देशसेवा का मौका मिलता है उन्हें वक्त जरूरत अपने हाथ धोते रहना पड़ता है । यह बात इतनी आम है कि जैसे ही कोई सार्वजनिक रूप से हाथ धोते दिखाई देता है लोग समझ जाते हैं कि इसने देशसेवा कर दी है ।
हुजूर शुरू शुरू में निखट्टू टाइप के थे । काम वाम कुछ आता नहीं था । आदतें ऐसी रहीं कि थाने चौकी से नाता बना । शायर कह गए हैं कि आते जाते रहो तो दरो दीवार से भी याराना हो जाता है । घर के लोगों को यही लगी रहती थी कि नामाकूल करेगा क्या ! लेकिन ईश्वर सबकी सुनता है, आजकल नामाकूलों की कुछ ज्यादा ही । होनहार बिरवान के होत चिकने पात । पुलिस को कुछ काम बेदिली से भी करना पड़ते हैं । हुजूर का जुलूस निकला तो अखबार के पहले पेज पर फोटो छ्प गई । समझने वाले समझ गए कि अब ये देशसेवा करेगा ।  एक सुबह लोगों ने देखा कि पोस्टर लगे हैं और उनके हृदय पर किसीके अतिक्रमण की घोषणा हो गई है । हुजूर हृदय सम्राट हो गए हैं और पहले दिन से लोकप्रिय भी । उन्होने खुद तय किया है कि वे देशसेवा करेंगे । देशसेवा एक बड़ा काम है बाकी काम छोटे हैं । उन्हे पता चला है कि अगर ढंग से देशसेवा की जाए तो सात पीढ़ियाँ बैठ कर खा सकती हैं ।  देश संभावनाओं से भरा हुआ है । खाने वाले में दम हो तो किसी को निराश नहीं होना पड़ा  है । बस खाने के बाद हाथ धोना आना चाहिए । समय तेजी से गुजरा, पहले वे महीने पंद्रह दिनों में हाथ धोते थे । लोगों ने देखा कि अब तो हुजूर रोज हाथ धो रहे हैं और जनता को स्वच्छता का संदेश दे रहे हैं ।

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