सोमवार, 21 फ़रवरी 2022

झूठ, सफ़ेद झूठ और राजनीतिक झूठ


 

            ए बी सी डी चार दोस्त, चारों के गले में अलग अलग पार्टी का पट्टा डला हुआ है . दोस्ती अपनी जगह, पट्टा अपनी जगह . आज भी चारों साथ में बैठे पी रहे हैं . चारों में एक एक विशेषता है . ए की आँख खुली है, बी का दिमाग खुला है, सी के हाथ खुले हैं और डी का मुंह खुला है . एक जमाना था जब पार्टियों के कार्यकर्त्ता एक दूसरे को फूटी आँख देखना पसंद नहीं करते थे . लेकिन अब कार्यकर्त्ता भी राजनीति खूब समझता और करता है . ऊपर वाले जब अपने फायदे नुकसान के हिसाब से एक पार्टी से दूसरी पार्टी में कूदते फांदते रहते हैं तो नीचे वाले अपने याराने से दूर क्यों हों . इन्होंने तय किया हुआ है कि पीते समय राजनीति की बातें नहीं करेंगे . अगर उनकी पार्टियों के प्रधान एक दूसरे को गधा या कुत्ता भी बोलेंगे तो उसका असर वे अपने पर नहीं लेंगे . इसी उदार सोच और दोस्ती को ध्यान में रखते हुए उनका तालमेल बना हुआ है .

अभी दूसरा पैग चल रहा था कि एक टीवी पत्रकार आ जुड़ा . अपना पैग शुरू करते हुए बोला – “और बताइए, क्या लगता है आपको, चुनाव में कौन जीतेगा ?”

ये एक खतरनाक वाक्य था . वे समझते थे कि ये दाने डाल कर लड़ने का काम करता है . चारों कुछ नहीं बोले, पापड़ तोड़ते रहे जैसे चुनाव के दौरान पार्टियाँ जाति और धर्म को लेकर समाज को तोड़ते रहे हैं . वह फिर बोला –“मुझे लगता है सरकार जा रही है . बहुमत नहीं मिल रहा है . लोग नाराज है जुमलों और धमकियों से .” 

“देखो यार, हम लोग पीने बैठते हैं तो राजनीति की बाते नहीं करते हैं . आप दूसरी कुछ अच्छी बात करो प्लीज .” ए बोला और बी ने इस बात का समर्थन किया .

“क्या आपका ये मतलब है कि राजनीति अच्छी बात नहीं है ! अगर ये बुरी बात है और आप लोग जानते हैं तो इसमें क्यों पड़े हुए हैं ?” पत्रकार ने स्वाभाविक प्रश्न किया .

“देखिये, हमारा मतलब यह था कि कोई मजेदार बात करो इस समय . नेताओं के चुनावी चूरन चाट चाट कर हर आदमी का पेट ख़राब हो चला है .” सी ने बात साफ की .

“ठीक है, मजेदार बात करते हैं ! अभी किसी ने कहा है कि जो बारहवीं के बाद इंटर में दाखिला लेगा उसे लेपटॉप देंगे .” 

“कैसे आदमी हो यार ! ये मजेदार बात नहीं है, मजेदार बात वो होती है जिसको सुनाने के बाद गुस्सा नहीं आये .” 

“तो ठीक है, ये सुनो . एक करोड़ लोगों को रोजगार मिलेगा . दिव्यांक और वरिष्ठ लोगों को पेंशन मिलेगी . भ्रष्टाचार समाप्त होगा और राज्य में विश्वस्तरीय सेंटर बनायेंगे, पेट्रोल सस्ता होगा, स्कूटी देंगे, गैस देंगे . .... मजा आया ?” 

“नहीं आया . ... यह झूठ है .”

“झूठ नहीं पार्टियों के वादे हैं . यहाँ से वहां तक सच की तरह दर्ज हैं .”

“अपने को अपडेट कीजिये .  झूठ तीन तरह के होते हैं . झूठ, सफ़ेद झूठ और राजनीतिक झूठ . राजनीतिक झूठ सबसे बुरा होता है . लेकिन कोई अदालत इसके खिलाफ सजा नहीं देती है . पार्टी कार्यकर्त्ता होने के नाते हमें इसका सबसे ज्यादा पता होता है .” ए बोला जिसकी ऑंखें  खुली हुई हैं . 

पत्रकार बोला –“ ऐसा है तो आप लोग क्यों नहीं बोलते राजनीतिक झूठ . कोई रोक है ?!”

“नहीं बोलेंगे, हम पार्टी के कार्यकर्त्ता हैं ... और अभी भी इन्सान हैं .” 


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