देश समृद्धि की और तेजी से बढ़ रहा है . जो कुछ भी सारा ब्लेक एंड व्हाइट था अब रंगीन हो चुका है . पुरानी सरकारों ने होली को गरीबों का त्योहार घोषित कर रखा था . जब दुनिया करोड़ों भारतियों को होली खेलते देखती है तो माना जाता है कि भारत में गरीबी बहुत है . अब नयी सरकार ने तय किया है कि इस वर्ष से होली अमीरों का त्योहार माना जायेगा . टीवी मिडिया को कह दिया गया है कि बड़े बड़े मिलनसार उधोगपतियों, बुद्धिमान व्यापारियों, राष्ट्रप्रेमी दलालों, चुने हुए फिल्म स्टारों, सम्मानित घूसखोरों वगैरह को होली खेलते दिखाए . बैंकों को भी निर्देश दे दिए हैं कि इस अवसर पर वे करोड़ों के रंग-लोन इन्हें दें ताकि इस त्यागी तबके को यथोचित सम्मान मिले . मिडिया के जरिये विदेशों में हमारी छबि शानदार होना चाहिए . राजनीति में छायाचित्र ही छबि है .
होली के त्योहार में एक दूसरे पर कीचड़ डालने और
गोबर में घसीटने की परंपरा है . इसे उचित गरिमा प्रदान की जाएगी. इस काम के लिए
सरकार ने बिना किसी भेदभाव के देशभर की छोटी बड़ी पार्टियों को छबि निर्माण के लिए
साथ आने को कहा है . इस मामले में पार्टियों का प्रदर्शन पूरे साल अच्छा रहता है .
जगह जगह स्टेडियम खाली पड़े हैं . सप्ताह भर पहले वहां गाय भैंसें बांध दी जाएँगी
ताकि शुद्ध, विश्वसनीय और ताजा गोबर सभी पार्टियों को उपलब्ध
हो सके . गौ-मूत्र और भें-मूत्र के कारण आर्गेनिक कीचड़ भी वहां तैयार हो जायेगा .
सारी पार्टियाँ जब गोबर कीचड़ में सन जाएँगी तो किसीकी अलग पहचान नहीं रहेगी .
दुनिया लोकतंत्र की इस खूबसूरती को देखेगी . हम कह सकेंगे मतभेदों के बावजूद सारे
दल एक हैं . यू नो, विभिन्नता में एकता .
ज्यादा सोचने से चिंता को अवसर मिलता है और
चिंतित लोग अक्सर सरकार को घूरने लगते हैं . होली मस्ती और गले मिलने का त्योहार है . नशे से आदमी की सोच-समझ,
विचार व विचारधारा, चेतना वगैरह सब स्थगित हो
जाते हैं . ज्ञानियों ने भांग को होली की जान बताया है . इसलिए मोहल्ला स्तर पर
भांग मुफ्त उपलब्ध करवाई जाएगी . पिया हुआ आदमी हिन्दू मुसलमान नहीं केवल एक शरीर
भर रह जाता है . किसी को न महंगाई की याद न बेरोजगारी का दर्द . पंचतत्व के इस
झूमते हुए जिन्दा पैकेट से समाज में अमन, शांति और अध्यात्म
का सन्देश जाता है . इसलिए नहीं पीने वालों टेक्स लगाया जा सकता है . कुछ जगहों पर लट्ठमार होली का चलन है . महिलाएं
लट्ठ से हुलियारों को पीटती हैं . आदमी भांग के या किसी भी नशे में हो तो उसे
पिटने में आनंद आता है . यही काम समय असमय पुलिस भी करती है तो उसका मकसद भी
प्रदर्शकारियों को आनंद से सराबोर करने का होता है . मदिरा मन को रंगीन बनती है . होली पर बाहर
जितनी रंगीनी होती है उतनी अन्दर भी होना चाहिए वरना त्योहार अधूरा है . सरकार की
सोच गहरी और सूक्ष्म है . कवि कह गए हैं –
“दुनिया वालों किन्तु किसी दिन, आ मदिरालय में देखो ;
दिन को होली, रात दिवाली, रोज मनाती मधुशाला”. मदिरा की बढ़ती दुकानों के इस मर्म को समझो लोगों .
जिस राज्य में अमीर गरीब सब मस्त हों ; झोपड़ी, महल या गटर का भेद न हो ; सारे चरम आनंद को प्राप्त
हों वहीं पर स्वर्ग है . और सरकार वादा है राज्य को स्वर्ग बना देने का .
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