मंगलवार, 22 फ़रवरी 2022

पुराना वोटर फूफा होता है.


  

                              पीए ने आते ही साहब के चरण छूने का उपक्रम करते हुए उनके घुटने छुए . साहब ने इस बात को नोट किया कि जैसे जैसे दिन-माह गुजर रहे हैं पीए के हाथ चरण से पिंडली होते हुए घुटनों तक पहुँच गए हैं ! लग रहा है आगे के दिन आशंकाओं से भरे हुए हैं . सम्मान देने वाले नौकर धीरे धीरे गले तक बढ़ सकते हैं . उन्होंने मन ही मन तय किया कि इस तरह के लोगों से सावधान रहना होगा . पीए अब कुछ कहेगा तो उस पर आँख मींच कर अमल करना जोखिम भरा है .

                         पीए ने कमर झुका कर अपने को साहब के कान के नजदीक किया और फुसफुसा कर कहा – “सर बाहर बहुत से लोग आये हुए हैं और आपसे रंग खेलना चाहते हैं . बुला लूँ एक एक करके ?”

                      “रंग गुलाल !! समझते नहीं हो क्या ! हमारे कपडे ख़राब हो जायेंगे . और चेहरा भी . फेयर कलर की स्कीन हो तो  उस पर रंग जल्दी और ज्यादा चढ़ता है . ... ना मना कर दो सबको . कह दो साहब गरीबों के लिए योजना बनाने में व्यस्त हैं .” साहब ने मुंह फेरते हुए कहा .

                       “आपको उनके साथ रंग खेलना चाहिए सर . वोटर हैं , हरेक के घर में पांच -सात वोट तो हैं ही . मना करना ठीक नहीं होगा .” पीए ने समझाया .

                        “अरे पीए .. पिये हो क्या ! वोट तो मैं जबान हिला कर ले लेता हूँ . इसमे रंग खेलने की क्या जरुरत है . वैसे बचपन में मैंने बहुत रंग खेला है . हम छोटी जगह में रहते थे . मैं फाटे कपड़े पहनता था. रंग-गुलाल के पैसे नहीं होते थे . लेकिन मन में अपनी संस्कृति और देश के प्रति प्रेम बहुत था . होली हमारा बड़ा त्योहार है . मेरे आठ दस साथी थे, मैं उनका लीडर था . लीडर बनने का शौक मुझे बचपन से ही रहा है . तो मैंने कहा कि होली तो प्यार और उमंग का त्योहार है . अगर हमारे पास रंग-गुलाल नहीं है तो हम कीचड़ और गोबर से खेलेंगे . तो कीचड़ और गोबर से होली खेलने का अविष्कार मैंने ही क्या है . उस टाइम पे पेटेंट के बारे में मुझे नालेज नहीं था . बाद में ये खेल धीरे धीरे सभी राज्यों में फ़ैल गया . क्योंकि गरीबी बहुत थी, पिछली सरकारों ने गरीबी दूर करने के लिए कुछ नहीं किया था . तो बचपन की बात और थी अब बात दूसरी है .” साहब ने दिल की बात रखी .

                        “जी सर, ... आपकी यह होली-बाइट कुछ ताजा फोटो के साथ प्रेस को रिलीज कर देता हूँ . लेकिन सर बाहर लोग बढ़ते जा रहे हैं . बहुत से पार्टी के लोग हैं, दो-तीन मंत्री भी हैं . होली खेलने की जिद है सबकी . आप कहें तो कीचड़ गोबर लाने के लिए कह दूँ ?” पीए ने पूछा .

                       “कहा ना ... नहीं खेलेंगे ... अब नहीं खेलते हैं .” साहब ने रूखा सा उत्तर दिया .

                        “सर पुराना वोटर फूफा होता है . आज रूठेगा तो समझ लीजिये चुनाव के समय कसर निकालेगा . थोडा सा रंग डलवा लीजिये फिर चाहे गुलाबजल से नहा लीजियेगा .” पीए ने सुझाया .

                       “ठीक है, ऐसा करो मैं यहाँ ग्लास केबिन में बैठूँगा, तुम उधर खड़े हो जाओ . लोग तुम्हें रंग डालेंगे और मैं हाथ हिला कर  टाटा कर लूँगा . ... देखो ! होली भी नहीं खेली और वोट भी बचा लिया . कैसा रहेगा ?”

                       “अच्छा रहेगा, ... सर लोग अगर रंग लगा कर पैर भी छुएं तो मैं क्या करूँ ?”

                       “नहीं नहीं, पैर तुम नहीं छुआना . उनसे कहना कि पैर साहब के छुओ ... मैं टाटा के साथ आशीर्वाद भी देता रहूँगा .”

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