गुरुवार, 20 अक्तूबर 2022

आत्मनिर्भर मनोहर खोटे !

 



जब से देश में आत्मनिर्भरता की मुहीम चली है अपने मनोहर खोटे प्रेम के मामले में चुपके से आत्मनिर्भर हो लिए हैं । पत्नी शांता खोटे को अभी इस बात की भनक नहीं लगी है । बहुत से मामलों में वह भी आत्मनिर्भर हैं लेकिन साठवें जन्मदिन के बाद अब वे मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को किसी पर हाथ नहीं उठाती हैं । इन तीन दिनों में ‘कंडीशन अप्लाय’ की घोषणा के साथ मनोहर खोटे मन की बात कर डालते हैं । बाकि दिनों में अपनी आत्मा को जबतब ‘सीपीआर’ देते रहते हैं । सरकार के साथ घर वालों ने भी मान लिया है कि मनोहर खोटे अब किसी काम के नहीं हैं । दफ्तर ने घर बैठा दिया है और घर वालों ने कोने में मोल्डेड तख़्त-ए-ताउस पर । जब जब उन्होंने प्रेम के दो बोल बोलना चाहे शांता खोटे ने कपड़ों का ढेर दिखा कर प्रेस करने बैठा दिया । मुक्ति उन्हें तब ही मिली जब दो तीन कपड़े उन्होंने बाकायदा जला दिए । हालाँकि शांता खोटे ने पहले खरीखोटी सुनाई और बाद में गरम प्रेस ले कर लपकी भी लेकिन जाको राखे साईयाँ मार सके न कोय । ऐन वक्त पर उनकी भाभी का विडिओ काल आ गया । सो ज्यादा कुछ नहीं हुआ, सिवा शाम की चाय बंद होने के । और शुक्र रहा कि बोलीं भी नहीं महिना भर तक ।

इधर उपेक्षित मनोहर खोटे को खाली बैठे कुछ पुरानी यादें आती रहीं और जाती भी रहीं । यादों का ऐसा ही है, जब आती हैं तो रोक नहीं सकते और जाती हैं तो पकड़ नहीं सकते । बरसों से डायरी में एक फूल रखा था गुलाब का । फूल क्या था जी ... यादों का सेटटॉप बॉक्स था । तमाम चैनल पकड़ता था रंगबिरंगे और बिना सेंसर ‘रंगीन’ । दुर्भाग्य से फूल एक दिन शांता खोटे के हाथ लग गया । वे समझ गयीं और उन्होंने फूल को चाय के साथ उबाल कर खड़े खड़े पी डाला । मनोहर खोटे उस दिन के बाद ऐसे इडीयट बॉक्स हो गए जिसमें ब्लेक एंड व्हाइट भी बंद हो गया । बहुत समय अकेले काट लेने के बाद अब मनोहर खोटे के पास कोई रास्ता नहीं बचा सिवाय आत्मनिर्भर हो लेने के । किसी ज़माने में गुरूजी ने कहा था कि आदमी को बड़े सपने देखना चाहिए । छोटे सपने देखना अपराध है । इसलिए मनोहर खोटे ने सोच लिया कि जब सपना ही देखना है तो सीधे महानायक को ही कॉम्पिटीशन में रखा जाए । अप्सरा किसी एक की नहीं होती है । वो बस होती है । बिना आधार कार्ड दिखाए कोई भी उससे प्रेम कर सकता है । कानून वानून का भी कोई झंझट नहीं । इसमें अच्छी बात यह है कि आपका प्रेम आपको ही पता होता है । बस बैठे रहिये और प्रेम का मजा लेते रहिये । सबसे अच्छी बात तो यह है कि इसमें जवानी का होना भी जरुरी नहीं है । और तो और अप्सरा का भी सामने होना जरुरी नहीं है । पत्र पत्रिकाओं में छपे उसके फोटो ही काफी होते हैं । प्रेम दिल से किया जाता है । कोई कह गया है ना “दिल के आईने में तस्वीर यार की ; जरा गरदन झुकाई और दीदार कर लिया” । यह एक साधना है, करता रहे आदमी तो सिद्धि प्राप्त हो जाती है । शांता खोटे को पता नहीं है कि मनोहर खोटे एक सिद्ध पुरुष है ।

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