रविवार, 26 फ़रवरी 2023

होली मूड ५ अहाते का नाम चौपाल


 





              “अरे होली का तो सोचो हुजूर । पीने काँ जाएँगे शरीफ लोग ! ठिया-ई ख़तम हो जाएँगे तो आपकी सरकार केसे चलेगी मालिक ! ये तो हद-ई हो री हे साहेब । आपको अपनी नेती का खियाल हे वोटर-होन का नी हे !! अहाते नी होंगे तो वोट काँ से आएँगे सरकार !!”  नीट वोटर मरियल मामा ने अपनी शिकायती रंग फैंका तो सरकार गामा सोच में पड़ गए ।  

               हुआ कुछ ख़ास नहीं । शराबखानों को  लेकर भड़कने वालों की कुछ आपत्ति थी और सरकार गामा ने बाले-बाले ले लिया फैसला कि अब जामनगर के अहाते बंद । कहते हैं कि लोकतंत्र है लेकिन न किसी पीने वाले से पूछा न पिलाने वाले से । यह प्राकृतिक न्याय नहीं है ।  बात को समझने की जरुरत है । होली आ रही है, हमारा सबसे बड़ा मनप्रिय त्यौहार । जिसमें छोटा-बड़ा, आमीर-गरीब, रजा-रंक, मरियल मामा-सरकार गामा सब एकरंग हो जाते हैं । नो डिवाइड एंड रूल । सब एक, यानी देश मस्त मजबूत । सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि नेते लोग सुनते नहीं हैं । माना कि बोलना-चीखना-चिल्लाना टीवी मिडिया और नेतों का काम है लेकिन सुनना समझना भी तो जरुरी है । एक कवि कह गए हैं “दिन को होली रात दिवाली, रोज मनाती मधुशाला” । जहाँ रोज होली हो वह तो हमारी संस्कृति और उत्सव का बड़ा केंद्र हुआ ना । इसे बंद करना सीधे सीधे संस्कृति पर हमला क्यों नहीं माना जाना चाहिए ?! व्यावहारिक रूप से देखें तो अब चार-यार अपनी होली को गुलजार करने कहाँ जायेंगे ?!  गामा सरकार जानती हैं और मानती भी है कि मयखाने राज्य की राजस्व सुविधा हैं । तो क्या ये आत्मघाती फैसला नहीं कहा जायेगा ! शराबी अपनी खून पसीने की कमाई का अधिकांश पैसा आपको देता है, अपने बच्चों के हिस्से का दूध-दवाई सरकार की  सेहत के लिए नजर कर देता है ...  और मौका आने पर वोट भी देता है अलग से । देखा जाये तो गामा सरकार का सगा पीने वालों से बढ़ कर कौन ! चुनाव के पहले कुत्ता छाप घटिया दारू बंटवाई जाती है ! लेकिन लोकतंत्र की खातिर सारे मरियल मामा कुर्सी-बटन दाब देते हैं । इस दरियादिली का ये सिला !!

                         गामा ने समझाया – “देखो मरियल जी, हम समझते हैं आपकी असुविधा । दारू भी उतनी ही बुरी है जितनी राजनीति ।  न तुम छोड़ सकते हो न हम । जितने गाली-जूते तुम्हें पड़ते हैं उतने ही हमें भी । तुम्हारा हमारा वोट और चोट वाला अटूट रिश्ता है, तुम मोटी चमड़ी हम भी सुपर मोटी चमड़ी । मेरे भाई, मेरे हमदम, मेरे दोस्त थोड़ा भगवान से भी डर यार । घर जा के पीने की आदत डाल बाकी कहीं बैठने की जगह नहीं मिलेगी ।“

                  “मतलब ये कि अपने घर को अहाता बना लें क्या !? कल को बीबी-बच्चे पीने लग जाएँगे  तो उसका खर्चा कौन देगा ? महंगाई इत्ती हो-री हे कि होली पे क्या खायेंगे ये-ई समझ में नी-आ-रिया हे ।”

                “मजबूरी को समझो, हमने तुम्हारे खाने का इंतजाम किया है पर पीने का नहीं हो सकेगा । आखिर हमें टेक्स पेयरों से भी वोट लेने पड़ते हैं । माफ़ करो मरियल मामा ।“ गामा बोले ।

              मरियल मामा को ताव आ गया । बोले – “तुम तो कमाल-ई करते हो गामा ! इत्ते सीधे मत बनो, तुमारे पास तो फार्मूला है । अगर अहाते को ले-के किसी को दिक्कत हो-री है, जबरन दनादन कर रिया है तो नाम बदल दो इस्का-बी  । केबिनेट में प्रस्ताव लाओ और अहातों का नाम बदल-के चौपाल कर दो । न तुम जीते, न हम हारे । तुम बी खुश हम बी खुश ।“

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