सुपर
साम्रट द्वारा युवा हृदय सम्राटों की ऑनलाइन मीटिंग ली जा रही थी । बोले – सारे
सम्राट घर घर पहुंचें, एक एक व्यक्ति से संपर्क करें और लोगों को खुश रहने के
स्पष्ट निर्देश दें । साफ साफ बता दें कि जो खुश नहीं होगा देशद्रोही माना जाएगा ।
हमारे यहाँ खुश होने की सुदीर्ध परंपरा है । लोग किसी के गिरने, उछलने-कूदने,
उल्टा-सीधा होने पर मजे में खुश हो लेते हैं । वो पीढ़ी अभी भी जिन्दा है जो चवन्नी
पड़ी मिल जाने पर तीन दिनों तक खुश हो लिया करती थी । इनसे प्रेरणा लेने की जरुरत
है । समाज विकास की राह पर है, लेकिन कुछ सूमड़े मुंह उतार कर घूम रहे हैं ।
जिन्हें खुश होने में कठिनाई है उन्हें हास्य योग करने के लिए बाध्य किया जाना
चाहिए । उन्हें कहें कि सुबह देर से उठें, दस ग्यारह बजे तक लम्बी तान के सोएं और
सुख का अनुभव करें । नींद खुले तो सबसे पहले सीधे बैठ कर हंसें, हंसते जाएँ । एक
व्यक्ति को हँसता देख कर दूसरे भी हंसने लगते हैं । इस तरह पूरा प्रदेश ख़ुशी के
चार्ट में सबसे उप्पर आ जायेगा । न्यायपालिका सहमत हुई तो हंसने का कनून बना कर
लागू कर दिया जायेगा ।
महंगाई
को लेकर विपक्ष वाले बहुत नाखुश हैं । ये छूत के बीमार दूसरों को भी नाखुश करते हैं ।
सरकार जल्द ही महंगाई शब्द को प्रतिबंधित करने पर विचार करेगी । मिडिया
महंगाई के बारे में मुंह नहीं खोलेगा, उसे संस्कारित किया जा चुका है । पुराना समय
देखिये, लाल झंडे वाले महंगाई से ही जिन्दा थे, लेकिन अब गायब हैं । इसका मतलब
महंगाई भी गायब है और यह ख़ुशी की सबसे बड़ी बात है । कुछ लेखकनुमा लोग महंगाई को
रोते रहते हैं उन्हें संस्कारित करने की जरुरत है । महंगाई कहने की अपेक्षा ‘जीवन
स्तर ऊंचा हुआ’ कहना अधिक साहित्यिक है । साहित्य वह होता है जिसमें जनता और उसके
सेवकों का हित प्राथमिकता के साथ जुड़ा हो । कुछ मनहूस अफवाह फैला रहे हैं कि रुपये
की कीमत गिरी है । उनकी आँखें खोली जाएंगी और दिखाया जायेगा कि कीमत वही है केवल
रंग बदला है । रंग बिरंगी मुद्रा धारक को ख़ुशी प्रदान करती है । उसे लगता है कि
जैसे उसकी मुट्ठी में इन्द्रधनुष है । रेडियो पर गाना बजता था ‘तेरे लिए सात रंग के सपने चुने’ तो बेमतलब लगता
था । अब मतलब निकल आया है, सात रंग के नोट सपने को साकार कर रहे हैं ।
सुनने-सुनाने वालों को कितनी ख़ुशी होती है इसे प्राइम न्यूज में दिखाने की जरुरत
है ।
लम्बे
समय से चिल्लपों मची है कि लोगों में नफ़रत बढ़ गयी है । समाज को विभाजित किया जा
रहा है । लेकिन ख़ुशी की बात है कि इस तरह शिकायतें निराधार साबित हुई हैं । जाँच
एजेंसियों की रिपोर्ट से साफ हो गया है कि सब झूठ है । कुछ उदासीन फुरसती लोगों ने
जबरन ‘जोड़ो यात्रा’ निकाल डाली । लेकिन आप देखिये उसमे शामिल हर आदमी खुश था ।
चप्पे चप्पे में अमन, शांति और खुशहाली कूट कूट कर भरी हुई है । इसलिए ध्यान रखें
कि चाहे कोई नंगा-भूखा हो, बीमार हो, लुटा-पिटा हो, दीन-दरिद्र हो पर खुश दिखे ।
हमारा लक्ष्य वह ब्रेकिंग न्यूज है जिसमें मुर्दा भी हँसता हुआ दिखाई दे रहा हो ।
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