सोमवार, 6 फ़रवरी 2023

मुर्दा भी हँसता दिखे


 



          सुपर साम्रट द्वारा युवा हृदय सम्राटों की ऑनलाइन मीटिंग ली जा रही थी । बोले – सारे सम्राट घर घर पहुंचें, एक एक व्यक्ति से संपर्क करें और लोगों को खुश रहने के स्पष्ट निर्देश दें । साफ साफ बता दें कि जो खुश नहीं होगा देशद्रोही माना जाएगा । हमारे यहाँ खुश होने की सुदीर्ध परंपरा है । लोग किसी के गिरने, उछलने-कूदने, उल्टा-सीधा होने पर मजे में खुश हो लेते हैं । वो पीढ़ी अभी भी जिन्दा है जो चवन्नी पड़ी मिल जाने पर तीन दिनों तक खुश हो लिया करती थी । इनसे प्रेरणा लेने की जरुरत है । समाज विकास की राह पर है, लेकिन कुछ सूमड़े मुंह उतार कर घूम रहे हैं । जिन्हें खुश होने में कठिनाई है उन्हें हास्य योग करने के लिए बाध्य किया जाना चाहिए । उन्हें कहें कि सुबह देर से उठें, दस ग्यारह बजे तक लम्बी तान के सोएं और सुख का अनुभव करें । नींद खुले तो सबसे पहले सीधे बैठ कर हंसें, हंसते जाएँ । एक व्यक्ति को हँसता देख कर दूसरे भी हंसने लगते हैं । इस तरह पूरा प्रदेश ख़ुशी के चार्ट में सबसे उप्पर आ जायेगा । न्यायपालिका सहमत हुई तो हंसने का कनून बना कर लागू कर दिया जायेगा ।

           महंगाई को लेकर विपक्ष वाले बहुत नाखुश हैं । ये छूत के बीमार दूसरों को भी नाखुश  करते हैं ।  सरकार जल्द ही महंगाई शब्द को प्रतिबंधित करने पर विचार करेगी । मिडिया महंगाई के बारे में मुंह नहीं खोलेगा, उसे संस्कारित किया जा चुका है । पुराना समय देखिये, लाल झंडे वाले महंगाई से ही जिन्दा थे, लेकिन अब गायब हैं । इसका मतलब महंगाई भी गायब है और यह ख़ुशी की सबसे बड़ी बात है । कुछ लेखकनुमा लोग महंगाई को रोते रहते हैं उन्हें संस्कारित करने की जरुरत है । महंगाई कहने की अपेक्षा ‘जीवन स्तर ऊंचा हुआ’ कहना अधिक साहित्यिक है । साहित्य वह होता है जिसमें जनता और उसके सेवकों का हित प्राथमिकता के साथ जुड़ा हो । कुछ मनहूस अफवाह फैला रहे हैं कि रुपये की कीमत गिरी है । उनकी आँखें खोली जाएंगी और दिखाया जायेगा कि कीमत वही है केवल रंग बदला है । रंग बिरंगी मुद्रा धारक को ख़ुशी प्रदान करती है । उसे लगता है कि जैसे उसकी मुट्ठी में इन्द्रधनुष है । रेडियो पर गाना बजता था  ‘तेरे लिए सात रंग के सपने चुने’ तो बेमतलब लगता था । अब मतलब निकल आया है, सात रंग के नोट सपने को साकार कर रहे हैं । सुनने-सुनाने वालों को कितनी ख़ुशी होती है इसे प्राइम न्यूज में दिखाने की जरुरत है ।

           लम्बे समय से चिल्लपों मची है कि लोगों में नफ़रत बढ़ गयी है । समाज को विभाजित किया जा रहा है । लेकिन ख़ुशी की बात है कि इस तरह शिकायतें निराधार साबित हुई हैं । जाँच एजेंसियों की रिपोर्ट से साफ हो गया है कि सब झूठ है । कुछ उदासीन फुरसती लोगों ने जबरन ‘जोड़ो यात्रा’ निकाल डाली । लेकिन आप देखिये उसमे शामिल हर आदमी खुश था । चप्पे चप्पे में अमन, शांति और खुशहाली कूट कूट कर भरी हुई है । इसलिए ध्यान रखें कि चाहे कोई नंगा-भूखा हो, बीमार हो, लुटा-पिटा हो, दीन-दरिद्र हो पर खुश दिखे । हमारा लक्ष्य वह ब्रेकिंग न्यूज है जिसमें मुर्दा भी हँसता हुआ दिखाई दे रहा हो ।

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