मंगलवार, 9 जनवरी 2018

भविष्यफल का रिवेल्युएशन

आज हाकर ने अख़बार के साथ केलेंडर भी फैंका. फैंकता तो वह रोज ही है, कुछ इस तरह कि ‘ये दुनिया, ये महफ़िल, मेरे कम की नहीं’बहुत मन करता हैं किसी दिन उसके मुंह में माइक घुसेड कर पूछूं कि ये तमाम खबरें, नेताओं के गंधाते दैनिक बयान और कम कपड़ों को प्रोत्साहित करती राष्ट्रीय सुंदरियों को भट्ट से फैकते हुए आप कैसा महसूस करते हैं ? अब तक पूछ ही लिया होता पर मुझे लगा कि इस तरह के सवाल पूछने के लिए जरुरी मूर्खता और क्रूरता मुझमें पैदा नहीं हो पा रही है. कुछ पेशेगत अनुशासन होते हैं जिनका पालन जरुरी है. बहरहाल मैंने केलेंडर उठा लिया और खुश हुआ. मुफ्त की कोई चीज मिल जाये तो खुश होना हमारे संस्कारों में शामिल है. एक पुख्ता जागरूक उपभोक्ता के तौर पर सबसे पहले मैंने चेक किया कि केलेंडर में पूरे बारह महीने तो हैं या नहीं. पिछली दफा दस महीनों का केलेंडर मिला था. दो महीनों के लिए कितनी घिस घिस करना पड़ी थी ! संपादक के नाम आधा दर्जन पत्र लिखे लेकिन सीनाजोरी देखिये कि एक भी नहीं छपा ! मन तो बहुत हो रहा था कि कलेक्टर से लिखित शिकायत कर दें लेकिन कृष्णकांत दादा बोले ‘जाने दे यार, दान की गाय के दांत नहीं गिने जाते.’ 
दोपहर में गोविन्द बाबू आ गए. बोले- “आज तो अख़बार के साथ केलेंडर आया है ! जरा निकालिए तो, भविष्यफल देख लें.”
“पैंसठ पार तो हो लिए हो, अब क्या देखना है सुनिश्चित भविष्य में !!”
बात पर गौर किये बगैर वे जारी रहे- “ अख़बार में खबरें बुरी आती हैं लेकिन भविष्यफल अच्छे आते हैं. मैं तो सभी पत्र-पत्रिकाओं के भविष्यफल पढता हूँ. पूरा जनवरी बड़े मजे में निकल जाता है. मजे की बात ये है कि हरेक में भविष्यफल अलग अलग होता है. कोई कहता है संपत्ति खरीदोगे तो दूसरा कहता है आर्थिक संकट गहराएगा. कहीं रोमांस के मौके हैं तो कहीं परिवारिक कलह. जनता हूँ कि मूर्ख बना रहे हैं, लेकिन मूर्ख बनने का भी अपना मजा है. कई बार तो गुदगुदी  होने लगती है. पंडित लोग सदियों से बना रहे हैं और हम भी सदा से बन रहे हैं. एक आदर्श परम्परा सी बन गयी है. इससे बहार जाओ तो पाप लगने का डर होता है. …… आप नहीं देखते केलेंडर में भविष्यफल ?” उन्होंने आँखों में घुसते हुए पूछा.
“देखता हूँ, लेकिन पिछले बरस के केलेंडर में. क्या कहा गया था और कितना सच निकला. पिछली बार लिखा था कि बारिश अच्छी होगी, किसान खुश होंगे, नये रोजगार बनेंगे, दुर्घटनाएं कम होंगी, बड़े नेताओं का निधन होगा, सामाजिक सौहाद्र बढेगा, राम मंदिर का मसला हल होगा, तनाव कम होंगे, कांग्रेस सशक्त हो कर उभरेगी, गरीबी घटेगी, मंहगाई कम होगी, सोने के भाव में गिरावट आएगी, धनपतियों के यहाँ आयकर के छापे पड़ेंगे, विदेशों से धन वापस आएगा, …..और भी बहुत कुछ था. अब फुर्सत से बैठ कर जांचता हूँ …. आप भी जांचेंगे क्या ?”
“नहीं जी, मैं खुश होने के लिए भविष्यफल पढ़ता हूँ, दुखी होने ले लिए नहीं.”  कहते हुए गोविन्द बाबू उठे और चल दिए.

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