शुक्रवार, 12 अप्रैल 2019

चुनावी चुल - बुल और गरीबी हटाओ -3



पिछले दिनों दबंग -3 की शूटिंग देखने के चक्कर में पचिसों धक्के और दो दो डंडे खा कर लौटे चुल और बुल उदास बैठे थे और सलमान को बीड़ी पीते हुए रिजेक्ट कर रहे थे ।  तभी कुछ पार्टीबाज़ हुजूम में आए और उन्हें पर्चे पकड़ा गए । लिखा था गरीबी हटाएँगे । किसी जमाने में दादी ने कहा था, पापा ने भी कहा था, अब ये कह रहे हैं ।

 पर्चा देखते हुए चुल बोला – “चल जाएगी ?” 

बुल ने पूछा- “क्या दबंग -3 ?”

“नहीं रे, गरीबी हटाओ -3 । “

“काठ की हांडी कितनी ही मजबूत क्यों न हो तीसरी बार नहीं चढ़ती है । “ बुल ने मुहावरा जड़ा जो चुल को समझ में नहीं आया, बोला – “किसको वोट दें समझ में नहीं आ रहा है ! “

“अरे इसमे दिक्कत क्या है !! जो चुनाव में खड़े हैं उनमें से किसी एक को दे मरो । “

“बहुत कंफूजन है यार ! जो खड़े हैं उनके लिए कोई वोट मांग नहीं रहा है । कहते हैं वोट भले ही इनको दो वो जाएगा ऊपर ही । “ चुल ने पर्चे को गौर से देखते हुये कहा ।

“तो जाने दे ऊपर । कितनी बार वोट दिये हैं कुछ पता चला उनका क्या हुआ ! अपने हाथ से एक बार निकला वोट किधर जाता है इससे अपने को क्या ?”

“ है क्यों नहीं !? गरीबी हटाने की कै रहे हैं । अगर हट गई तो हमारे भी सुख चैन के दिन आ सकते हैं कि नहीं । दद्दा मर गए सपना देखते देखते । पता नहीं अब भी सपना देख रहे हों कहीं पैदा हो के । हम सोचते हैं कि अबकी सही जगो पे वोट दे दें तो क्या पता गरीबी जो है दारी हट ही जाए । बहुत परेसान कर लिया । “ चुल उम्मीद से भरने लगा ।

“अबे पागल है क्या ! गरीबी कोई सब्जी मंडी का अतिक्रमण है जो कि सरकार के कहे से पुलिस डांडा ले के हाँक देगी और वो हट जाएगी !” बुल नहीं माना ।

“देख ले ! बहत्तर हजार देने का बोले हैं । सबको मिलेगा । सस्ता अनाज, सस्ता अस्पताल, सस्ता स्कूल, सस्ता घर सब देंगे तो कहाँ रहेगी गरीबी । मैं तो काम वाम छोड़ दूंगा । मजे में बैठ के खाऊँगा सुबे शाम पऊवा लगा के । और क्या चाहिए अपने को । नेता नहीं राजा महाराजा हैं ये लोग ।“ पर्चे में लिखी घोषणाएँ दिखा कर चुल बोला ।

“राजा महाराजा नहीं रे मूरख, राजनीति में भी चुलबुल पांडे होते हैं बड़े वाले । हाथ हिलाते निकल जाएंगे और आखरी में जब पिक्चर खतम होगी तो हमारे हाथ में आधा फटा हुआ टिकिट  रह जाएगा बस । उसी से मिटा लेना अपनी गरीबी । .... देख कचरा गाड़ी आ रही है, पूछ लेना इस पर्चे को गीले में डालना है या सूखे में । “
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