“विकास के बम चौतरफा फूट रहे हैं और
आप जनाब अभी ‘भारत एक खोज’ पढ़ने में लगे हैं !!” अंदाज उनका ऐसा था मानों
उन्होंने हमें कालर से रंगेहाथों पकड़ लिया । हम खिसियानी हँसी के साथ पेश होने के
आलावा और क्या कर सकते थे । वे जारी रहे – नेहरू नेहरू सुनाने का यह मतलब नहीं कि
लोग नेहरू दर्शन में घुस जाएँ । समय-काल का ध्यान रखना चाहिए, खासकर उनको जो जनता
केटेगिरी के हैं । देखो आगे, चलो पीछे । यही नीति है, यही मन्त्र है, इसी में नया
विकास छुपा हुआ है । देश को प्रेम करने के लिए यह सब करना आना चाहिए । याद रखो यह
कला है, सबसे बड़ी है । कला से प्रेम यानी देश से प्रेम ।
हम एक नयी व्यवस्था देने जा रहे हैं
। लोगों को जान कर खुश होना पड़ेगा कि नये लोकतंत्र में विपक्ष नहीं होगा । क्या
जरुरत है विपक्ष की । बिना मतलब की रस्साकशी । अभी जनता विपक्ष को मरने नहीं दे
रही है और हम जीने नहीं दे रहे हैं । दोनों का काम हल्का हो जायेगा । जरुरी हुआ तो
संसद की शोभा के लिए विपक्ष की कुर्सियों पर पुतले रख देंगे, चीन में सस्ते बनते
हैं । बहस की जगह भजन कीर्तन चलेगा और देश में दैवीय ऊर्जा बहेगी । रेल के डब्बे
में सब अपने वाले हों तो यात्रा कितनी सुखद और सुरक्षित हो जाती है । अभी सारा
भ्रष्टाचार वोट के कारण होता है । विपक्ष नहीं होगा तो वोट का झंझट ख़त्म । किसको
वोट दें किसको नहीं, यह सोचने के तनाव से जनता भी मुक्त हो जाएगी । देश मजबूत
हाथों में है यह मिडिया,टीवी, इडी वगैरह से सबको पता चल चुका है । सरकार के लिए न
कोई लाड़ला होगा न लाड़ली । जो पैसा बचेगा
उससे एक नयी बुलेट ट्रेन खरीदेंगे, विकास तेज होगा । आपाधापी में कुछ लोग छूट जाते
हैं । हमारे लाड़ले विधायकों, सांसदों ने बड़े त्याग किये हैं । आपातकाल में जेल गये
थे । उनके प्रति सरकार का यानी देश कुछ कर्तव्य बनता है । आगे आप समझदार हैं ।
अच्छे सुझाव दोगे तो मान भी लेंगे ।
हाँ हमें पता है कि विपक्षियों के
बहकावे में आ कर आप लोग महंगाई का रोना रोने लगते हो । कम अक्ल हो, उनकी बातों में
आ जाते हो । दरअसल महंगाई विकास का थर्मामीटर है । महंगाई से ही पता चलता है कि
लोगों की पर्चेसिंग पावर कितनी बढ़ गई है । गरीब से गरीब भी खरीद रहा है, खा-पी रहा
है और क्या चाहिए । महंगाई तो मात्र एक नारा है विपक्ष का । शर्म आनी चाहिए उन्हें
। जनता बड़े मजे में भजन-भंडारों में लगी है और ये छाती कूट उनके आनंद-आस्था में
खलल पैदा करते हैं ! उन्हें बेरोजगारी का नाम ले कर डराते हैं । विपक्ष के आलावा
कौन बेरोजगार है, बताइए । सबके हाथ में डाटा है, सब काम में लगे पड़े हैं । किसी के
पास घड़ी भर की फुर्सत हो तो बताओ ? बेरोजगारी होती तो लोग आन्दोलन करते, नारे
लगाते, काले झंडे दिखाते । सब मजे में हैं । किसी को कोई शिकायत नहीं है । हर
सप्ताह एक विश्वविद्यालय खोल रहे हैं और हर दूसरे दिन एक कालेज । डिग्री का महत्त्व जानती है सरकार । रोजगार से
ज्यादा नाक बचाने में डिग्री का महत्त्व होता है । डिग्री सबको मिलेगी, एक नहीं दो
दो तीन तीन मिलेगी । भर भर के लो । बाज़ार में निकलो कभी देखने के लिए । सब्जी-भाजी
वाले, गोलगप्पे वाले, चाय वाले, जूता पालिश वाले, सब डिग्रीधारी मिलेंगे । और
कितने नीचे तक विकास चाहिए । पन्द्रह साल पहले छोटे छोटे काम करने में लोगों को
शरम आती थी, अब देखो, सब कर रहे हैं मजे में । डेवलपमेंट इसी को कहते हैं ।
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जवाहर सर की जय हो। लाजवाब आर्थिक व्यंग्य। वाकई किसी को फुर्सत नहीं कि पढ़े।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद भाई ।
हटाएंवाह, शहद में लपेट कर किया हुआ कटाक्ष
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