रविवार, 9 जून 2013

लोकसेवकों की पोर्नाहुति !


संस्कारवान लोकसेवक घर में पोर्न नहीं देखते हैं । जनता ने उन्हें इस काम के लिए बाकायदा चुन कर सदन में भेजा है और वे जनदेश का सम्मान करते हैं । पोर्न से उन्हें आध्यात्म का अनुभव और ज्ञान प्राप्त होता है । पोर्न पारायण एक प्रकार की भक्ति है जिसमें आस्थावान कभी भी साधना में लीन हो सकता है । देश जड़ों तक आजाद है, जिस किसी सेवक को पोर्न की तलब लगे वो फौरन अपना आईपाड निकाल कर अपनी ज्ञान पिपासा को अधिकारपूर्वक शांत कर सकता है । देखने में कोई हर्ज नहीं है, क्योंकि किसी डाक्टर ने नहीं कहा है कि देखने से आँखों का केन्सर वगैरह होता है । सदन में बहस हो रही हो , कोई बिल-विल पास हो रहा हो , किसी मुद्दे पर मतभेद हो उस समय पोर्न शान्ति बनाए रखने में बहुत सहायक होता है । हमारे सदन मच्छी बजार के नाम से दुनिया में बदनाम हैं । उनकी प्रतिष्ठा कायम करना लोकसेवकों की प्राथमिक जिम्मेदारी बनती है । कहने वाले कहते हैं कि हमारे सदनों में अपराधी प्रवृत्ति के लोग चुन कर घुस आए हैं । कइयों पर तो हत्या तक के आरोप हैं । सदन में चाकू-छूरे  या पिस्तौलें निकलें यह अच्छी बात नहीं है । सदन एक तरह से माननीय सभासदों की यज्ञशाला है । यहां आईपाड के अलावा और कुछ भी निकालना शोभा नहीं देता है ।
कुछ लोग पोर्न देखने की निंदा की, विशेषकर अपने को शरीफ सिद्ध करने वालों ने । इस पर जनमत कराने की आवश्कता है कि देश को घोटाले करने वालों से नुकसान हो रहा है या पोर्न देखने वाले नेताओं से ? मूर्ख से मूर्ख बुद्धिजीवी भी कहेगा कि पोर्नाहुती में व्यस्त नेता देश के लिए बेहतर है । सुना ही होगा कि यदि किसी का भला होता हो तो दाग बेहतर हैं । नेता अगर मेहरबानी करके अपनी सक्रियता कुछ समय के लिए बंद कर दें तो देश जनता के मजबूत कंधों के भरोसे भी तरक्की कर सकता है । लेकिन विरोधी दल वाले बहुत चालाक हैं , सदन में हल्ला मचाते हैं और खुद घर में पोर्न का पारायण करते हैं । इससे देश , सदन और घर का माहौल खराब होता है । लेकिन हमारी पार्टी तीनों की गरिमा का घ्यान रखती है । हमारे लोकसेवक संस्कृति के प्रति बहुत निष्ठावान हैं । घर में डांटना, फटकारना और हल्ला मचाना हजारों वर्ष पुरानी पुरुष प्रधान संस्कृति की रक्षा करना भी है । पार्टी के पोर्न-पुरुष वास्तव में हमारे समाज के नर-रत्न हैं । सरकार को चाहिए कि वह जल्द से जल्द पोर्नपाल-बिललाए और भारी बहुमत से इसे पास कर इतिहास रचे । एक बार सदन में पोर्नपाठ लीगल हो जाएगा तो उपस्थिति भी बढ़ जाएगी और शांति भी । विरोधियों को अल्ल-फल्ल बकने का मौका नहीं मिलेगा वहीं दुनिया के तमाम देशों को जहां लोकतंत्र नहीं है वहां लोकतंत्र की मांग जोर पकड़ेगी । आशा है पाठक सहमत होंगे । पोरनाम .....  ।

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