गरमी का मौसम है, गैलरी में कुछ बर्तन रखे हैं मिट्टी के, पानी भर कर . दिनभर चिड़िया पानी पीने आती हैं , नहाती भी हैं . उन्हें ऐसा करते देखना अच्छा लगता है . अभी एक दिन जब चिड़ियों को देख रहा था कि आसमान में एक बकरी उड़ती दिखाई दी . विश्वास नहीं हुआ कि जो देख रहा हूँ वो सच है ! बकरी कैसे उड़ सकती है भला ! उड़े तो बकरा उड़े, हक़ है उसका, उड़ सकता है . लेकिन बकरी का उड़ना किसे बर्दाश्त हो सकेगा . हो सकता है कि ये बकरा हो . शिनाख्त करने की कोशिश की ही थी कि वह अचानक गैलारी में उतर आई और पानी पी कर फिर उड़ गयी . यक़ीनन बकरी ही थी .
आप सोचये,
यह घटना आपकी आँखों के सामने घटित हुई होती तो ?! काफी देर तक कुछ सूझा नहीं . मन
स्थिर हुआ तो दौड़ कर किसी को बता देने की इच्छा से एक चिहुंक सी उठी . लेकिन रुक
गया, लोग पागल समझेंगे . फिर सोचा आँखों देखा सच तो सबको मानना ही पड़ेगा . लोग अभी
इतने मूर्ख नहीं हो पाए हैं कि सच की तरफ से मुंह फेर कर खड़े हो जाएँ . फिर ये
मामला महंगाई बेरोजगारी जैसा भी नहीं है कि दुखता सबको है पर रोता कोई नहीं . जिक्र उड़ती हुई बकरी का है . त्रिवेदी जी को
बताया तो उन्होंने मजाक उड़ाया कि ध्यान से देख लो यार, गैलरी में अंडे भी दे गयी
होगी . जब उड़ती है अंडे भी जरुर देती होगी . बकरी के अंडे जब दिखाओगे तो मिडिया
हाथोहाथ लेगा और फ्रंट पेज पर छ्पोगे . शुक्ला जी डिस्कवरी विशेषज्ञ हैं बोले बड़ी
चीलें अपने पंजों में बकरी को ले कर उड़ती हैं . आपने ध्यान से देखा होता तो पता चल
जाता कि ये बकरी भी जरुर किसी चील के पंजे में है . लेकिन आपका क्या दोष, जमाना भी
बकरी देखता है चील नहीं . चौहान साहब चौपाटी चेम्पियन हैं . उनकी शंका ये कि बकरी
जैसा गैस वाला गुब्बारा हो सकता है . हवा में उड़ता चला आया होगा और आपको लगा होगा
कि बकरी है .
हो सकता है
और लोगों ने भी बकरी को उड़ते देखा हो लेकिन मजाक बन जाने के डर से चुप्पी लगाये
हों . लेकिन ज्यादातर ने नहीं देखा होगा, यानी उन्हीं की बात मानी जाएगी . बहुमत
का जमाना है . सत्य बहुमत से ही हारता है . बहुमत के पास जीत होती है, सत्य भी हो यह
जरुरी नहीं है .
दूसरे दिन खुद
बकरी का बयान आया . उसने कहा कि मेरे प्यारे देशवासियों, बकरियां अब पंख धारण कर
रही हैं . बकरियां भी उड़ेंगी खुले आकाश में . उनके पर क़तर दिए जाते थे . लेकिन अब
वो जमाना गया . जो बकरियों को सिर्फ शरीर या गोश्त मानते आ रहे थे उन्हें अपनी
धारणा बदलनी होगी . इस सच को जितनी जल्दी स्वीकार
करेंगे उतना अच्छा होगा .
देर नहीं
हुई और जवाबी बयान और प्रतिक्रियाएं आना शुरू हो गयी . किसी ने कहा कि बकरियों को
परदे में नहीं रखने का परिणाम है ये . अब हर जगह उड़ती फिरेंगी . आज एक ने आसमान
देख लिया है तो आगे और भी हैं जो देखेंगी . अगर बकरियां असमान में उड़ने लगेंगीं तो
असमान की हैसियत क्या रह जाएगी ! बकरियां बाड़े में बंद ही अच्छी लगती हैं . बकरियों
का काम बच्चे पैदा करना और मैं-मैं करते
रहना है, वगैरह .
अभी यह सब
चल ही रहा था कि ब्रेकिंग न्यूज चमकी – ‘बकरियों के हैसले बुलंद, शीघ्र ही चाँद पर जाएँगी’ .
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