“पता चला,कब बांटेगी ?”
“अभी तो कोई रमूज नी लगी हे । पर बांटेगी
जरूर । “
“ अभी बांटना चिए यार । अपने को कोई
दिक्कत नी हे पर कारकरता दिनभर टप्पे खाता रेता हे । थकान हो जाती हे तो दूसरे दिन
उठ नी पाता हे ।“
“भिया भी क्या करें यार । अभी बांटना
सुरू कर दें तो बजट बिगड़ जाएगा । अभी तो अठरा दिन बाकी हें ।“
“ कारकरता खिसक लेंगे पेलवान इस स्यानपत्ति
में । सुना हे कि सामने वाले ने बांटना सुरू कर दी हे । “
“ कोन सी वाली बाँट रा हे ?!”
“ वोई , कुत्ता
छाप । क्वाटर मिल रा हे हरेक को ।“
“ फिर तो लोग खिसक लेंगे जेसे जेसे पता
चलेगा !! “
“ येई तो ! येई चार दिन होते हें कारकरता
की जवाईं की तरे पूछ होती हे , वरना बाद में तो चूसी
हड्डी भी नी डालता हे कोई । “
चुनाव में दारू बांटना पड़ती है । जैसे
फसल लेने के लिए पौधों को सींचना पड़ता है । पुलिस को पता होता है, कुछ पेटियाँ पहले उनको भी पहुंचाई जाती हैं । आखिर पुलिस भी इंसान है, थकते वो भी हैं । गरीब के लिए तो दारू सम्मान है । मिल जाए तभी उसको लगता है
कि इज्जत हुई । पिछली बार तो आखरी दो दिन मुर्गे भी बांटे गए थे । वो तो मोटा भाई को टिकिट नहीं मिला इस बार, वरना एक ट्रक बकरों का आर्डर दे रखा था । महीने भर से लोगों की हंडियाँ उम्मीद
से हो गईं थीं । मोटा भाई दारू के साथ पाँच
सौ का नोट भी बांटता है । लेकिन मेनेजमेंट सही नहीं था इसलिए पिछले दो चुनाव हार गया
।
पोपसिंग जादो का मेनेजमेंट बढ़िया है
। सुबह का समय थोड़ा खाली रहता हैं । कार्यकर्ता लेट आते हैं । सबको जमा होने में नौ
बजता है और प्रचार के लिए निकलते निकलते दस । इसबीच पोपसिंग भिया कुछ घरों में पर्सनली
मिल आते हैं । आज भी वे सिविल लाइन की मनाकर फेमिली में पहुंचे हैं । सुरेश मनाकर गमलों में पानी
दे रहे थे । और उनकी पत्नी जयश्री मनाकर किचन में थी ।
पोपसिंग भिया ने गाड़ी से उतरते ही हांक
लगाई –“ और क्या सुरेश जी, क्या हो रहा है ?”
“ कुछ नहीं गमलों से जनसम्पर्क कर रहा
हूँ , आइये । “
पोपसिंग उत्तर के विस्तार में जाते इसके
पहले जयश्री दिख गईं । -“ नमस्कार भाभी जी, आज
नास्ते में क्या बन रहा है ? सोचा आज आपके हाथ का ही खाऊँगा ।
“
“ अभी तो कुछ नहीं बन रहा है भाई साहब
। दिवाली का पड़ा है बहुत सारा । मेरा इनका पेट खराब है , बनाने का कोई फायदा नहीं है । “ जयश्री मनाकर ने साफ मना कर दिया ।
“ तो आज सुरेश जी को नास्ता नहीं मिलेगा
क्या ? चलो सुरेश भाई आज मैं आपको नास्ता करवा के लाता हूँ । भाभी जी के लिए भी ले कर आते हैं बढ़िया जलेबी
पोहा । “
“ अरे ऐसा कैसे ! तुम कुछ बनाने वाली थीं ना ? सुरेश
जी ने अर्थपूर्ण संवाद किया ।
“ शाम की रोटियां बची हैं , उन्हीं को चूर के बघारना है बस । “
“ अरे वाह !! बासी बघारी चूरा-रोटी !!
ये तो मुझे बहुत पसंद है । बनाओ बनाओ । “ पोपसिंग को पता है कि जयश्री मोहल्ला भगिनी
मण्डल की अध्यक्ष है । “
“ और क्या सुरेश जी ?”
“ वोट तो आपको ही देना है । सामने वाली
पार्टी ब्लेक डॉग का आफ़र दे रही थी । मना कर दिया हमने तो । कहा कि अगर ब्लेक डॉग ही
लेना होगी तो अपने भिया से ले लेंगे । घर की बात है ।“ सुरेश मनाकर ने अपनी मांग रखी
।
“ अरे इसमें क्या है ! आपको एक बोतल
पहुंचा दूंगा । “
“ सामने वाली पार्टी दो दे रही थी पर
मैंने मना कर दिया .....”
“ ठीक है, कोई दिक्कत नहीं है , दो भेज दूंगा ..... पर ....?”
“ आप बिलकुल चिंता मत करो । वाइफ भगिनी
मण्डल सम्हाल लेगी और बाकी मैं देख लूँगा । “
जयश्री प्लेट मे बघारी रोटी-चूरा ले
आई । "घर में दूध नहीं है वरना चाय भी बनती ।"
" कोई बात नहीं भाभी जी , आपके लिए भी वोड्का भिजवाता हूँ आज । "
" एक तो गले में ही अटक जाती है भाई साब । "
" आपके लिए दो भिजवाता हूँ भाभी जी । "
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