कई प्रदेशों में वोटर वोट देने से पहले विचार करते हैं। बिहार का भोटर पहले भोट देता है। विचार करने के लिए उसके पास आगे के पांच साल होते हैं। उसका मानना और कहना है कि अगर वह पहले विचार करने लगे तो फिर वोट देना उसके लिए संभव ही नहीं है। जब वोट नहीं डालेगा तो वह वोटर भी नहीं रहेगा। लोकतंत्र में उसे कुछ मिला है तो वोटर की महान हैसियत है। पांच साल में एक बार आसमान से दिव्य-शक्तियां उतरती हैं और उसकी खुरदुरी दाढ़ी में हाथ डालती हैं, चिरौरी करती हैं, उसके आगे खींसें निपोरती हैं, हाथ जोड़ कर अद्दा-पउवा वगैरह देती हैं तो इतना मान सम्मान कम है क्या ! अगर ये ना मिले तो आम आदमी का जीवन कितना नीसर हो। वोटर हैं तो अस्तित्व है, वरना आदमी नहीं कुकरमुत्ते हैं। व्यवस्था में कोई काम के नहीं, लोकतंत्र की सड़क पर घूमने वाले आवारा श्वान । वोटर की हैसियत आदमी होने की मूल्यवान हैसियत है।
जब खुदा हुस्न देता है तो नजाकत आ ही जाती है। चुनाव के वक्त वोटर का सीना भी छप्पन इंची हो जाता है। भला क्यों न हो, उसके नामुराद गालों पर नीविया चुपड़ने के लिए दसियों लोग डिब्बी लिए पीछे दौड़ने लगते हैं। उनको भी ‘शैकहैन्डवा’ का मौका मिल जाता है जिनको सदियों से कोई छूता नहीं रहा है। असली चुनाव का मजा इधर ही होता है। जिन घरों में हमेशा रौशनी रहती है वे दिवाली जुआ खेल कर मनाते हैं। असली दिवाली उनकी होती है जो अंधेरे में गुजारा करते आए हैं। चुनाव वोटर की दिवाली है। यह बात अलग है कि उसका क्या रौशन हुआ, क्या खाक हुआ इसका पता बाद में चलता है।
अपनी आदत से लाचार टीवीमैन ने पूछा-‘‘बाबू चुनाव हो रहे हैं बिहार में, .... आपको पता है ?’’
‘‘चुनाव नहीं होते तो आप लोग क्या हमारी तबीयत पूछने आए हैं ! ...... अब ये भी पूछ लीजिए कि ‘कैसा महसूस कर रहे हैं आप ?’ बिहारी ने टीवीमैन की गर्मी थोड़ी कम की।
‘‘लगता है कि आप बहुत समझदार हैं! ’’
‘‘बिहार का हर आदमी समझदार है। ’’
‘‘ तो फिर अच्छी सरकार क्यों नहीं चुनते आप लोग !?!’’
‘‘ सरकार कौन सी अच्छी होती है !? ...... जनता हमेशा अच्छे को चुनती है पर बाद में सब ‘सरकार’ हो जाते हैं। ’’
‘‘ इस बार किसे चुनेंगे ?’’ टीवीमैन ने ब्रेक्रिंग न्यूज खोदना चाही।
‘‘ इधर सब जानता है कि समोसे में आलू ही होता है और टीवी वाला बड़ा चालू होता है।’’
‘‘ऐसा सुनते हैं कि आप लोग जाति के हिसाब से वोट डालते हैं ?’’ टीवीमैन ने खुदाई जारी रखी।
‘‘ पहले धरम, फिर जाति उसके बाद गोत्र ..... और सबसे बड़ी बात बाहुबली ...... ’’
‘‘इस तरह तो विकास नहीं हो पाएगा !’’
‘‘ विकास !! विकास का चुनाव से क्या लेना देना ! रंगदारी बंद हो जाए, हप्ता वसूली बंद हो जाए, अपराध न हों तो बिहार का विकास हुआ समझो। ’’
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