खिड़की से
धूप और प्रकाश आ रहा है । प्रकाश मुझे अच्छा लगता है । प्राकृतिक हो तो और भी
ज्यादा । मन मुदित हुआ तो आँखें बंद हो गईं । अभी कुछ पल ही गुजरे थे कि आवाज आई –
आँखें खोलो भक्त । मैं भगवान हूँ ।
चौंक कर
देखा । सामने एक आकृति थी, पाषाण प्रतिमा सी । मुझे डर लगा । प्रायः डर के समय
भगवान को याद करता हूँ । अब भगवान सामने हैं तो समझ में नहीं आ रहा है कि किसका
स्मरण करूँ !
“डरो मत ।
मैं तुम्हें कुछ देने आया हूँ ।“ वे बोले ।
“क्या दोगे
?!” डर काम नहीं हुआ, भगवान हैं, पता नहीं
क्या दे दें ।
“एक आइडिया
दूंगा जिससे तुम काम के आदमी समझे जाओगे ।”
“काम !!
... काम तो चाहिए मुझे भगवान । बेरोजगार बैठा हूँ । महंगाई कितनी है ! हाथ हमेशा
तंग रहता है । स्कूल वाले बोरी भर भर के फीस मांगते हैं । खाना कपड़ा दवाई सब मेरे
बस के बाहर है ।“
“रुको
रुको, शिकायत पुराण मत खोलो भक्त । मैं तुम्हें काम नहीं आइडिया देना चाहता हूँ ।“
“आइडिया का
क्या करूंगा भगवान ! देने वाले ने बहुत दिए हैं । पूरा शहर चाय बनाने वालों से
अंटा पड़ा है । मुट्ठी भर पीने वाले और गाड़ी भर पिलाने वाले ! आइडिया तो रहने ही
दो, काम की बात हो तो कहो ।"
“काम,
नौकरी, रोजगार ये सब दकियानूसी विचार हैं भक्त । तुम्हें इन सब बातों से परे रहते
हुए आत्मनिर्भर हो जाना चाहिए ।“
“आत्मनिर्भर
क्या होता है भगवान ?”
“जब
तुम्हारे आसपास कि सारी निर्भरताएं बेमानी हो जाएं । संगी साथी असहयोग की मुद्रा
मे आ जाएं । समाज मे तुम्हारी विश्वसनीयता खत्म हो जाए । तुम हंसी और उपेक्षा के
पात्र होने लगो । चौतरफ निराशा घिरने लगे तो एक ही उपाय बचता है ... “
“मेरे साथ
यही सब हो रहा है । कौन सा रास्ता बचत है प्रभु ?!”
“तुम अपने
को भगवान का अवतार घोषित कर दो ।“
“मजाक मत करों
भगवान । मेरे अवतार होने की बात कौन मानेगा !!”
“ये
तुम्हारी नहीं लोगों की समस्या है । पूरे
विश्वास से कहो कि तुम पैदा नहीं हुए हो अवतरित हुए हो । डायरेक्ट भगवान का अवतार
।“
“इससे क्या
होगा प्रभु !?”
“लोग गाली
देना बंद कर देंगे । सोचो भगवान को कौन गाली दे सकता है ? तुम्हारी आरती करेंगे
लोग, कीर्तन होंगे । तुम्हारे किये धरे को भगवान का किया धरा मना जाएगा । तुमसे
कोई सवाल नहीं कर सकेगा । गलत निर्णयों के लिए भी तुम जिम्मेदार नहीं ठहरए जाओगे ।
कुछ ही दिनों में तुम पूजे जाने लगोगे, तुम्हारे मंदिर बनेंगे । हार माला फूल चंदन
अगरबत्ती सब होगा । गरीब आएगा और दूर से हाथ जोड़ कर चल जाएगा, उस पर ध्यान देने कि
जरूरत नहीं है । अमीर छपन भोग लाएगा, रेशमी वस्त्र और स्वर्ण मुकुट पहनाएगा ।
महंगे मौसमी फलों के रस से रोज स्नान करोगे । और ये सब एक दो बार नहीं, तब तक
चलेगा जब तक तुम रहोगे ।... बोलो ।“
“मुझे कुछ
समझ में नहीं आ रहा है । भगवान तो आप हैं ! आप क्या करोगे फ्री हो कर !“
“थक गया
हूँ भक्त । तुम तो जानते हो राजनीति वालों को । कितना दौड़ाया मुझे । अब मुझे अवकाश
चाहिए । तुम जैसे कुछ समझदारों को भगवान बना दूँ और चलूँ ।“
“कोई आपका
स्थान कैसे ले सकता है भगवान !?”
“चिंता मत
करो, लोग सच झूठ सब मान लेते हैं । जनता बहरूपियों के भी हाथ जोड़ती है । तुम अवतार
हो यह भी मान लेगी । बस तुम्हें कहते रहना है कि ‘तुम पैदा नहीं हुए हो, तुम्हें
भगवान ने भेजा है’ । तो आज से तुम अवतार हुए । टेक केयर । “
कह कर
आकृति गायब हो गई । खिड़की में केवल प्रकाश रह गया है । आइडिया बुरा नहीं है लेकिन
खतरा यह है कि देश जल्द ही नए अवतारों से भर जाएगा । काम्पिटिशन तगड़ी रहेगी । मुझे रंगे पत्थरों की तरह सड़क किनारे पड़ा रह
जाना पड़ेगा तो !?
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