शुरू में लिखा था .....‘‘ प्यारी जोजो ....।’’
‘‘
ये जोजो कौन है बे !? ’’ साहब ने सामने खड़े व्यक्ति
से पूछा।
‘‘
हमारी भाभी हैं, ..... भइया भाभी को जोजो नाम
से ही बुलाते थे। ’’
‘‘
जोजो क्यों !? इस तरां का नाम तो होता नहीं
है इधर !’’
‘‘
वो क्या है सर जी, भाभी हर बात में ‘जो
हेकि, जो हेकि’
बोला करती थी। इसलिए .....’’
‘‘
तुम्हारे भाई की राइटिंग अच्छी नहीं है ! तुम पढ़ सकते हो ?’’
‘‘
हां जी ।’’
‘‘
पढ़ के सुनाओ तो जरा।’’
हमाई पियारी जोजो,
हमें माफ कर देना, अब हम जा रए हें । जे दुनिया
अच्छे आदमी के लाने तो हइये नईं। हमाई तो दुस्मन बनी पड़ी है, भर
पाए हम तो। पर देखो तुम चिंता करना मती, और टैम पे खा-पी लिया करना नहीं
तो बीमार पड़ जाओगी। घर में अम्मा लगी पड़ी हैं खाट से और दद्दा भी उठै-बैठै से टोटल-लाचार
चल रए हैं। काम तो तुम बीमार पड़ै में भी कर लेती हो दिन-रात। पर तुम ठीक रहोगी तभी
ना उनका ख्याल रख सकोगी अच्छे से। सास-सुसुर हैं तुमारे, सेवा
का फरज तो बनतई है,
...... है कि नईं। खाबै के मामले में तुमाई आदत अच्छी नईं है। एक तो
सबसे आखरी में खाती हो,
इसलिए कम मिलता है, कभी कभी तो मिलताई नईं है। तुम
तो हमें बताती नईं हो ....... पर हम जानते सब हैं। अब तुम तो जे नियम-घरम, सरम-वरम
सब छोंड़ दो,
...... हमीं नईं रहे तो आखरी में खाबै का मतलब का है, बताओ
? सई हैकि नईं ? हमाई मानो तुम तो पहले खा लिया करो चुप्पे से। नहीं तो
उप्पर स्वरग में हमें तुमाई बड़ी फिकिर लगी रहेगी। और जे तुम जान लो कि फिकिर में हम
कोई आराम थोड़ी कर पाएंगे वहां। तुमै, पता नईं है, हमारे
लाने स्वरग में भोत काम लगा पड़ा रैगा। उप्पर से तुमाई फिकिर। वहां तो मरै का मौका भी
नईं मिलेगा,
ये सोची हो तुम । बहुत मुस्किल जिनगी होती है मरै के बाद की।
इत्ता तो जानती होगी .... कि नईं।
एसा नईं ना सोचना कि तुमको हम बेसहारा छोड़े जा रए हें। सात बच्चे
हैं, जो आगे चल के तुमारा सहारा बनेंगे। चार ठौ मोड़े हें ..... राज करोगी तुम तो
.... और तीन ठौ मोड़ियां हैं। तो जान लो कि अपनी सरकार भी कै रही है कि मोड़ा-मोड़ी सब
बरोबर होत हैं। ...... खुस तो हो ना तुम ? ...... देखो भागवान, जित्ता
हमसे बना उत्ता कर दिया हमने। ...... तो समझ लो कि सातों के सातों मोड़े हैं तुमारे।
अच्छे इसकूल भेजना सबको। खूब पढ़ाना लिखाना, हाँ । फिर देखना बिरादरी में कित्ती इज्जत
होती है तुमाई। बिरादरी वाले आदमी को देख के कल्लाते हें पर गरीब ओरत की तो बड़ी इज्जत
करते हें। फिर तुम तो अब बिधवा हो जाओगी .... तो बैसेई पंच पियारी रहोगी।
जान लेओ कि छोटू और जग्गू की फिकिर हमको बहुत है। जरा कमजोर
हैं। तुम ठीक से अपना दूध पिलातीं तो निकल आते ससुर के नाती, पर
तुमने हमाई सुनी कब। चलौ जो हो गया सो हो गया, गलती इंसान सेई होती है। अब
हो सके तो उनके लिए एक ठौ गइया पाल लेना। दूध पीयेंगे तो टनटना जाएंगे गबरू समान।
.... हमै का,
हम तो जा रए हें, तुमाए ही काम आएंगे। हम हमाए
लाने तो कुछ कै नहीं रए।
और देखो रानी, ... गुलाबो और गेंदा दोनों
का ब्याह टैम पे कर देना। जवान होने बाली हैं। तुम तो जानती हो आजकल जमाना अच्छा नईं
है। दबंगों के लौंडे बहुत बिगड़े हुए हैं। उनके लाने गारी निकरती है मुंह से, हमैं
तो उन लोगों ने दो कौड़ी का नईं समझा। पर तुम बड़ी हिम्मत वाली हो। मोर्चा ले लोगी उन
सबही से। और देखो,
..... सादी-ब्याह की चिंता तो समझो कि हैयेई नईं, .... सरकार मामा है,
करवा देगी मजे में। .... घर-बर अच्छा ढूंढना, ऐरे
गैरे के पल्ले मत बांध देना। बिन बाप की लड़कियां हैं तो दयालू घर भी मिल जाएंगे आराम
से। इतना तो नाम है हमारा। ... और जो भी सुनेगा कि फांसी लगा के मरे हैं तो पसीज जाएगा।
अरे हां, फांसी से याद आया कि घिसिया की दुकान से हम रस्सी ले लिए हैं उधार, लटकने
के वास्ते। उसका पैसा मांगे तो नईं देना, रस्सी लौटा देना। .... पर बापस
करने से पहले एक बार अम्मा और दद्दा से पूछ लेना। पता नहीं रस्सी के लाने ही बैठे कल्ला
रहे हों।
जोजो रानी, तुमाए से हमने कभी कुछ छुपाया नईं .....
पर अब जाते जाते बता दें कि तुमाए चांदी के कड़े जो तिपाई वाले कोने में तुम गाड़ रखी
थीं वो हमने बहुत पहले खोद के बेंच दिए थे। रमईराम से कर्जा लिए हैं ये तो तुमैं पता
है ना। अरे पचीस हजार बताए थे ना हम ? देखो तुम बरदास कर जाओ इसलिए
पचीस बताए थे,
सच्ची बात तो जे है कि पच्चास हजार लिए थे और अब बढ़ के दो लाख
हो गया है। तुम जानती तो हो साहुकरों का ब्याज बट्टा। हमाए बस की बात नहीं थी और ना
हम दोसी हैं इस रकम के। इसी चिंता में हम घुले जा रहे थे। पर तुम चिंता मत करना और
रोना भी नहीं। .... बने तो धीरे धीरे चुका देना मजे में। लछमी हो तुम तो, ..... नहीं बने तो वो खुद ही घर ले लेगा, ..... हमने घर गिरवी लिखा दिया
है, तुमको कुछ परेसानी नईं होगी। रकम से हमने दारू वाले का पूउरा चुकता कर दिया है, नईं
तो वो बदमास तुमैं परेसान करते, मानते थोड़ी। हां, थोड़ी
रकम जुए में चली गई है,
सो उसके लिए हाथ जोड़ के माफी मांगते हैं। तुम अगर बरत-उपवास
करतीं, पूजा-पाठ और नेम-धरम करतीं तो पासे हमारी तरफ गिरते और घर के दलिद्दर दूर होते, तुम
और तुमाए बच्चा-बुच्ची आराम से रहते। पर ठीक है जैसी तुमाई इच्छा, हम
तो जा रहे हैं अब,
तुमाए मन में जैसा आए वैसा करो। हमारा कोई दखल नईं रहेगा किसी
काम में। तुम खुस रहो और हमको क्या चहिए। येई फिकिर में मरै जा रए हैं हम।
हमारा-तुमारा साथ इत्ताई था, देखो रोना नईं .....
पर सुनो तनिक,
..... जे नईं रोने का बोल दिया तो लकीर की फकीर मती हो जाना, .... लोक दिखाबे के लाने थोड़ा रो लेना, नहीं तो मस्त हो जाओ ..... अरे
हां, ....तुम ठहरी मजबूत औरत,
कई दफे तो हमेई पीट चुकी हो। हमने बताया नहीं पर सच्ची कहते
हैं तुमाए हाथन की बड़ी जोर की लगती है। वो तो हमई रहे कि जे बात किसी को बाहर पता नहीं
चली,
...... तुमाई इज्जत की लगी रहती थी इसके लाने किसी के आगे मूं नईं खोला।
सोच लो कोई और होता तो तुम तो बदनाम हो गईं होती। पिछले हप्ते पीठ पे जो लात तुमने
जमाई थी, सच्ची अभी तक दुख रही है। हल्दी-चूना लगाया तो था पर तुमाए आगे हल्दी-चूना की कुछ
चलती क्या ?
पता नहीं तुमाई लात में ब्रहम्मा जी अपनी लात घुसाए देते हैं।
अब उप्पर जा रए हें तो उनसे जे पूछेंगे जरूर।
तो अब चलैं जोजो रानी, सच्ची मन तो नईं हो रहा, पर
मरद जात एक बार कुछ ठान ले तो पीछे हटै से हेटी होती है। तुम तो जानती हो छाती में
कित्ते सारे बाल हैं हमाए। असली मरद हैं, मौत
से डर तो नईं जाएंगे। कल जब बात निकले तो मोड़ा-मोड़ी को हमाई बहादुरी के किस्से सुनाना।
देखो अगर भूत बन गए तो तुमारी रच्छा जरूर करेंगे.... आखिर हमारा भी फरज है.... पीछे
नहीं हटने वाले हैं हम,
देख लेना अमावस की रात इमली के झाड़ के नीचे खड़े मिलेंगे तुमारे
लाने। ...... और हां, एक बात और कह दें, ... तेरा दिन बाद हमारा नुक्ता अच्छे से करना। पैसों की फिकिर मत करना, सरकार
मुआवजा देती है लाख-दो लाख। नुक्ते में इससे ज्यादा नईं लगेगा। .... देख लो जोजो रानी, तुमपे
कुछ बोझा छोड़े के नईं जा रए हैं हम। ..... अच्छा राम राम, ध्यान
रखियो सबका। ...... तुमारा हिम्मत सिंग।
‘‘
बस इत्ताई लिखा है साहब। ’’
‘‘
कितना भला आदमी था रे तेरा भाई । अबे हमको रोना आ रहा है, जा
जोजो को बुला ला,
उससे लग के थोड़ा रो लें, सरकारी हुए तो क्या हुआ, कुछ
जिम्मेदारी हमारी भी बनती है।’’
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