मथनी की तरह घूम घूम कर वे दिल्ली को मथ रही थीं . विश्वास ये कि माखन निकलेगा . दिल्ली को मथने से माखन निकलता है ये मिडिया से भी पता चलता है . जिसने ठीक से मथा नवनीत उसे ही मिला . कृष्ण ग्वालबालों की टोली के साथ होते थे और कंकरियां मार के मटकी फोड़ दिया करते थे . छींकों में ऊपर बंधी मटकी भी ग्वालों की सहायता से उतार लेते थे . मतलब ये कि कृष्ण ने शिक्षा दी है कि मिल कर प्रयास किये जाएँ तो मटकी फोड़ी जा सकती है . कृष्ण भी उनकी तरह काले थे सो वे एक स्याह आत्मविश्वास से भरी हुई खुद कृष्णा हो रही थीं .
“कृष्णा जी विपक्ष की एकता का विचार अच्छा है लेकिन माखन कैसे बंटेगा इस पर कोई चर्चा नहीं हो रही है ! “ पुरातन दल के नवांकुरित दलपति ने अपनी बात रखी .
“ये बताइए कि सारा माखन आपको दे दें तो आप हजम कर लोगे दलपति जी ?” उन्होंने फायरब्रांड सवाल दागा .
“दो मिनिट रुको, मम्मी से पूछ कर बताता हूँ .”
“ऐसी कौन सी मम्मी है जो दुनिया का सारा माखन अपने बच्चू को नहीं देना चाहेगी !? वो तो हाँ ही कहेंगी .”
“फिर दीदी से पूछ लेता हूँ ...”
“अभी रक्षाबंधन आने वाला है . बहन भी सारा माखन भाई को ही देगी .”
“फिर किससे पूछूं ! और किसी पर मुझे भरोसा नहीं है .”
“मैं हूँ ना, मुझसे पूछो . देखो अपन पिरामिड बनायेंगे और सब मिल कर मटकी फोड़ेंगे तो थोड़ा थोड़ा माखन सबको मिल जाएगा .”
“पिरामिड में सबसे ऊपर किसको रखोगे ? गोविंदा किसको बनाओगे ?”
“मैं दिल्ली मथ रही हूँ तो साफ है गोविंदा मैं बनूँगी .”
“लेकिन हमारा दल राष्ट्रिय है और सबसे बड़ा है तो गोविंदा हमारा होगा और सबसे ज्यादा माखन भी हमें देना होगा .”
“सच्चाई को देखिये, आपका दल बूढ़ा हाथी है, खाता ज्यादा है और हिलता कम है . ऐसे में खेला कैसे होगा ?”
“कृष्णा जी ... मईंड योर लेंग्वेज प्लीज, हम जानते हैं अपने हाथी को, वह बूढ़ा नहीं है .”
“आप ठीक से जानते हैं ?... अच्छा बताइए कि हाथी की सूंड किधर होती है और पूंछ किधर ?”
“सिंपल है, हाथी जिधर से खाता है उधर सूंड और जिधर से निकालता है उधर पूंछ होती है .”
“ये तो हमारे बंगाल में केजी के बच्चों को भी पता होता है . पोलिटिक्स में हाथी अलग होता है .”
“तो आप ही बताएं कृष्णा जी ... मतलब दीदी ...आप बताएं .”
“जिधर से वादे किये जाते हैं, घोषणाएँ की जाती हैं उधर सूंड होती है और जिधर से वादों घोषणाओं की हवा निकल जाती है उधर पूंछ होती हैं .”
इस बीच मम्मी आ जाती हैं, उन्हें भी सामूहिक प्रयास के बारे में बताया जाता है .
“माखन का इशू पहले साल्व करना पड़ेगा. यू नो सिक्सटी परसेंट माखन हमारा गुड्डू के लिए जरुरी है .”
“देखिये मैडम, हमारा गोल मटकी फोड़ना है, एक बार मटकी फूट जाये माखन का इशू बाद में हल हो जायेगा . “
“चलिए फिफ्टी वन परसेंट हमको दीजिये, बाकी का बाकी को . दूसरे क्या बोल रहे हैं ?”
“जितनी भी पार्टियों से मिली हूँ सारे फिफ्टी वन परसेंट मांगते हैं !”
“आपकी अपनी क्या राय है .“
“मुझे भी फिफ्टी वन परसेंट होना ... आखिर दिल्ली तो मैं ही मथ रही हूँ .
“तो दिल्ली आपका बस की नहीं है मैडम ... नमस्कार .”
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